क्या उत्तराखंड में 118 बॉन्ड धारक डॉक्टर 'गायब' हो गए? नोटिस जारी

सारांश
Key Takeaways
- 118 बॉंड धारक डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में नहीं पहुंचे।
- कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
- सरकारी खर्च पर पढ़ाई की गई थी।
- डॉक्टरों ने बॉंड की शर्तों का उल्लंघन किया है।
- रविवार तक जवाब नहीं मिलने पर कार्रवाई होगी।
हल्द्वानी, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक गंभीर मामला प्रकाश में आया है। सरकारी खर्च पर प्रशिक्षित डॉक्टरों ने बॉन्ड नियमों का उल्लंघन किया है। विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनाती के पश्चात 118 बॉंड धारक डॉक्टर वहां अपनी सेवाएं देने के लिए नहीं पहुंचे।
राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 118 बॉंड धारक डॉक्टरों ने अपने बॉंड की शर्तों को नजरअंदाज करते हुए उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं देने के बजाय बॉंड की शर्तों का उल्लंघन किया है। इसके परिणामस्वरूप, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सभी बॉंड धारक डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यदि जवाब नहीं मिलता है तो जिलाधिकारी को पत्र भेजकर डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की जाएगी।
सरकार ने इन डॉक्टरों को कम खर्च में मेडिकल की शिक्षा प्रदान की थी। शिक्षा पूरी होने के बाद उन्हें उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनात किया गया, लेकिन ये डॉक्टर अपने तैनाती स्थल पर नहीं पहुंचे। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
इन डॉक्टरों में 28 पीजी और 90 एमबीबीएस डिग्री धारक शामिल हैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने चेतावनी दी है कि यदि जवाब नहीं दिया गया तो डॉक्टरों के गृह जनपद के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इनसे 20 लाख से लेकर 2.5 करोड़ रुपये तक की वसूली की जा सकती है। इन सभी डॉक्टरों ने पढ़ाई के दौरान रियायती फीस के बदले जो बॉंड भरा था, उसकी शर्तों का उल्लंघन किया है।
मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि इन डॉक्टरों ने एमबीबीएस और पीजी कोर्स के दौरान बॉंड साइन किया था, जिसमें सरकारी अस्पतालों में सेवा देने की शर्त निर्धारित की गई थी।
डीजी हेल्थ के माध्यम से डॉक्टरों की उत्तराखंड के विभिन्न अस्पतालों में तैनाती की गई थी। लेकिन इन डॉक्टरों ने अपनी तैनाती के बाद निर्दिष्ट स्थानों पर कार्य नहीं किया, जो कि बॉंड की शर्तों का उल्लंघन है।
इन डॉक्टरों को पूर्व में नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इसके बाद अब अंतिम नोटिस जारी कर डॉक्टरों से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है। यदि जवाब नहीं दिया गया, तो बॉंड धारक डॉक्टरों के गृह जिले के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की जाएगी।