क्या 'वंदे मातरम' 150 साल बाद भी समाज को राष्ट्रभक्ति से भरने की ताकत रखता है?

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क्या 'वंदे मातरम' 150 साल बाद भी समाज को राष्ट्रभक्ति से भरने की ताकत रखता है?

सारांश

दत्तात्रेय होसबले ने 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने पर इसे राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक बताया। जानिए इस गीत की ऐतिहासिकता और इसकी वर्तमान प्रासंगिकता के बारे में।

Key Takeaways

  • वंदे मातरम की रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी।
  • यह गीत राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है।
  • महात्मा गांधी ने इस गीत का उपयोग किया।
  • यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना जाता है।
  • 150 वर्षों का यह गीत आज भी प्रासंगिक है।

नई दिल्ली, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने इस गीत के रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इसे राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक बताया।

होसबले ने कहा कि 1875 में रचित यह गीत 1896 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा गाया गया था। तब से यह देशभक्ति का प्रतीक बन गया। स्वतंत्रता संग्राम में बंग-भंग आंदोलन से लेकर सभी लड़ाइयों में ‘वंदे मातरम’ योद्धाओं का नारा रहा।

उन्होंने बताया कि महर्षि अरविंद, मैडम भीकाजी कामा, सुब्रमण्यम भारती, लाला हरदयाल और लाला लाजपत राय जैसे महापुरुषों ने अपनी पत्र-पत्रिकाओं के नाम में ‘वंदे मातरम’ जोड़ा। महात्मा गांधी भी वर्षों तक पत्रों का अंत इसी से करते थे।

दत्तात्रेय होसबले ने जोर देकर कहा कि ‘वंदे मातरम’ राष्ट्र की आत्मा का गान है, जो हर किसी को प्रेरित करता है। 150 साल बाद भी यह समाज को राष्ट्रभक्ति से भरने की ताकत रखता है। आज जब क्षेत्र, भाषा और जाति के आधार पर विभाजन की कोशिशें बढ़ रही हैं, तब यह गीत समाज को एकता के धागे में बांध सकता है। भारत के हर कोने, समाज और भाषा में इसकी स्वीकृति है। यह राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक पहचान और एकता का मजबूत आधार है।

राष्ट्रीय चेतना के पुनर्जागरण और राष्ट्र निर्माण के इस मौके पर ‘वंदे मातरम’ के भावों को दिल से अपनाने की जरूरत है। होसबले ने आरएसएस के सभी स्वयंसेवकों और पूरे समाज से अपील की कि इस गीत की प्रेरणा को हर दिल में जगाएं। ‘स्व’ के आधार पर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय हों और इस अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों में उत्साह से हिस्सा लें।

यह वक्तव्य आरएसएस की ओर से जारी किया गया है, जो ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक मानता है। संघ ने देशभर में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है।

Point of View

बल्कि आज की विभाजनकारी शक्तियों के खिलाफ एकता का प्रतीक भी है।
NationPress
01/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'वंदे मातरम' का कोई विशेष अर्थ है?
जी हां, 'वंदे मातरम' का अर्थ है 'मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं', जो राष्ट्र के प्रति सम्मान और प्रेम को दर्शाता है।
इस गीत का इतिहास क्या है?
'वंदे मातरम' की रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी और इसे 1875 में लिखा गया था।