क्या वाराणसी में स्वतंत्रता दिवस पर खादी के तिरंगे की डिमांड बढ़ रही है?

सारांश
Key Takeaways
- स्वतंत्रता दिवस पर खादी के तिरंगे की मांग बढ़ी है।
- युवाओं में खादी के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
- खादी से बने झंडों की बिक्री में वृद्धि हुई है।
- प्लास्टिक के झंडों का विरोध हो रहा है।
- खादी अब केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक नहीं, बल्कि फैशन का हिस्सा बन गया है।
वाराणसी, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। देशभर में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की तैयारियां अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा चलाए जा रहे ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का विशेष असर वाराणसी में देखने को मिल रहा है, जहाँ खादी के तिरंगे की मांग में काफी वृद्धि हुई है। दुकानदारों के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष खादी के तिरंगे की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लोग अपने घरों, दफ्तरों और दुकानों पर तिरंगा फहराने के लिए झंडे खरीद रहे हैं।
इसके अलावा, तिरंगा यात्रा और अन्य देशभक्ति कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए लोग उत्साहपूर्वक तिरंगे ले जा रहे हैं। वाराणसी की गलियों और बाजारों में तिरंगे के रंग का माहौल स्वतंत्रता दिवस के उत्साह को और बढ़ा रहा है।
खादी आश्रम के क्षेत्रीय प्रबंधक वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि झंडे का बाजार अच्छा चल रहा है। लोग झंडे खरीद रहे हैं, लेकिन पिछले साल के मुकाबले खरीदारी थोड़ा कम हो रही है। इस साल छोटे तिरंगे की मांग अधिक है।
खादी आश्रम के कर्मचारी गजेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि युवाओं में खादी को लेकर काफी उत्साह है। हमारे पास रेशमी, सूती खादी जैसे विभिन्न उत्पाद उपलब्ध हैं। 15 अगस्त के अवसर पर झंडे की खरीदारी हो रही है। बाजार में बिकने वाले प्लास्टिक के झंडे मानकों को पूरा नहीं करते हैं। ऐसे झंडों की बिक्री पर रोक लगनी चाहिए। पहले खादी एक राष्ट्र का प्रतीक था, आज यह फैशन बन गया है।
वाराणसी में गाजीपुर से आए खरीदार गोपाल प्रजापति ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मुझे स्कूल के लिए झंडा खरीदना है। यहाँ खादी से बने सभी प्रकार के झंडे उपलब्ध हैं, और युवाओं का खादी के प्रति रुझान बढ़ रहा है।