क्या विनोद बंसल ने राजनीतिक स्वार्थ में फंसने की चेतावनी दी, वक्फ संपत्तियों का लाभ हाथ से निकल जाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- वक्फ संपत्तियों का लाभ सुरक्षित रखने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
- राजनीतिक स्वार्थ से दूर रहना आवश्यक है।
- ६ दिसंबर का दिन महत्वपूर्ण है, इसे सम्मानित करना चाहिए।
- बाबर जैसे कट्टरपंथी नेताओं के प्रभाव से बचें।
- सामाजिक स्थिरता के लिए कानून का पालन करें।
नई दिल्ली, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अखिल भारतीय राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में वक्फ संपत्तियों का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने ६ दिसंबर को वक्फ संपत्तियों के विवरण पोर्टल पर अपलोड करने की अंतिम तिथि को लेकर 'एक्स' पर कई पक्षों को चेतावनी दी है।
विनोद बंसल ने अपने 'एक्स' पोस्ट में उल्लेख किया कि यदि कोई बाबरी के पैरोकार, बाबर, हुमायूं या वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कांग्रेस के चक्कर में फंस गया, तो वक्फ संपत्तियों का लाभ उनके हाथ से निकल सकता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमेशा सर्वोच्च रहेगा और अब कोर्ट ने समय सीमा बढ़ाने से भी इनकार कर दिया है।
उन्होंने कहा कि लोगों का ध्यान भड़काऊ और विध्वंसक गतिविधियों की बजाय सही दिशा में लगना चाहिए। बाबर जैसे कट्टरपंथी नेतृत्व में रहना संपत्तियों के खोने और कुकर्मों के सार्वजनिक होने का कारण बन सकता है।
बंसल ने अपने 'एक्स' पोस्ट में ६ दिसंबर के महत्व की ओर भी इशारा किया। इस दिन डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस है। इस अवसर पर सभी को संविधान के सिद्धांतों के अनुसार बने वक्फ कानून का सम्मान करना चाहिए। उनका मानना है कि कानून और संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करने से ही समाज में न्याय और शांति स्थापित की जा सकती है।
पोस्ट में विनोद बंसल ने यह स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों का विवरण समय पर अपलोड करना न केवल कानूनी दायित्व है, बल्कि यह समाज और धर्म के प्रति जिम्मेदारी भी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि लोग व्यक्तिगत या राजनीतिक स्वार्थ में फंस गए, तो संपत्तियां उनके नियंत्रण से बाहर जा सकती हैं और सभी कुकर्म सार्वजनिक हो सकते हैं।
बंसल ने लोगों को यह संदेश दिया कि धार्मिक और ऐतिहासिक विवादों में उलझने से बेहतर है कि वे संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने कहा कि विवादों और भड़काऊ भाषणों के बजाय कानून का पालन करना ही सुरक्षित रास्ता है, जिससे समाज में स्थिरता बनी रहे।