क्या चुनाव आयोग के खिलाफ इंडिया ब्लॉक का मार्च उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- विपक्षी सांसदों का मार्च लोकतंत्र की रक्षा के लिए है।
- चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
- मतदाता सूची में गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया गया।
- तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।
- लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। विपक्षी सांसदों ने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ एक मार्च का आयोजन किया और चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में अपनी नाराजगी व्यक्त की और लोकतंत्र के लिए खतरे की बात कही। इन नेताओं ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए इसे तानाशाही करार दिया।
कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा, "पीएम मोदी के शासन में किसी को भी अपनी आवाज उठाने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस पार्टी और इंडिया अलायंस तब तक संघर्ष करेगा, जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता। हरियाणा में आठ सीटों से हमारी सरकार चली गई थी। इसी तरह, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हम पुनः जीतने वाले थे, लेकिन हमारे पास सबूत नहीं थे, इसलिए हम चुप रहे। जब हमने तथ्यों के साथ बात की, तो हमें लगता है कि ये चुनाव बीजेपी ने जीता नहीं है।"
टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने भी चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा, "हम कई महीनों से चुनाव आयोग को कह रहे हैं कि वोटर तालिका में एक नंबर पर डुप्लीकेशन है। ममता दीदी ने फरवरी में नेताजी की प्रतिमा के सामने ये बात कही थी। राहुल जी ने प्रेसवार्ता में कहा था कि अगर इलेक्शन कमीशन ने 2024 का चुनाव नकली वोटर्स के माध्यम से करवाया है, तो पहले प्रधानमंत्री को कुर्सी से हटाना चाहिए।"
उन्होंने सवाल किया कि आखिर आपने 2024 का चुनाव कैसे किया? लोकतंत्र में हमारा अधिकार है, हम जनता के प्रतिनिधि हैं। वोटों की चोरी हुई है, जो पूरी तरह से तानाशाही है। हम इसे नहीं मानेंगे। यह एक लोकतांत्रिक देश है। आप ऐसा करके नकली वोटर्स डालकर भाजपा के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।"
कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "पांच महीने में 50-50 लाख वोट जुड़ रहे हैं, ये कोई छोटी बात नहीं है। पूरा देश इस समय पूछ रहा है कि लोकतंत्र के नाम पर ये क्या हो रहा है? ये तानाशाही हो रही है। जिस तानाशाही से हमने 1947 में आजादी पाई थी, उस तानाशाही को हम पर जबरन थोपने का प्रयास किया जा रहा है।"
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मार्च के दौरान पुलिस द्वारा रोके जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा, "हम लोग शांतिपूर्ण ढंग से मार्च कर रहे थे, लेकिन हमें रोका गया। हमारी मांग थी कि विपक्ष के सांसद निर्वाचन आयोग को अपना दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे। उस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।"