क्या विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस: चुप्पी तोड़ने और उम्मीद जगाने का दिन है?

सारांश
Key Takeaways
- आत्महत्या रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
- खुले संवाद को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है।
- मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना होगा।
- समाज, परिवार और सरकार को एकजुट होकर जिम्मेदारी निभानी होगी।
- विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। यदि आप इस लेख को पढ़ने में पांच मिनट लगाते हैं, तो इस दौरान विश्वभर में कम से कम सात लोग आत्महत्या के रास्ते पर चल चुके होंगे। यह कोई कल्पना नहीं है, बल्कि आत्महत्या जोखिम से जुड़े एक वैश्विक आकलन का परिणाम है, जिसमें हर 43 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है, और यह अधिकतर पुरुषों से संबंधित है।
रिसर्चर्स ने द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने रखा कि आत्महत्या के कारण पुरुषों की मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में दोगुनी है। यहां तक कि आत्महत्या के परिणामस्वरूप मृत्यु की संभावना तीन गुना अधिक होती है।
हर साल 10 सितंबर को पूरी दुनिया में 'विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (आईएएसपी) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से की थी।
इस दिन का उद्देश्य यह संदेश देना है कि आत्महत्या को रोका जा सकता है और इसके लिए समाज, परिवार, सरकार और हर व्यक्ति को एक साथ मिलकर जिम्मेदारी उठानी होगी।
आत्महत्या आज एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन गई है। हर साल लाखों लोग आत्महत्या कर अपनी जान गंवा देते हैं। आत्महत्या केवल व्यक्तिगत नुकसान नहीं है, बल्कि इसका परिवार, मित्रों, कार्यस्थलों और पूरे समाज पर गहरा सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
इस दिन का उद्देश्य खुली चर्चा को प्रोत्साहित करना है, ताकि लोग बिना किसी संकोच के अपनी पीड़ा साझा कर सकें। यह विषय केवल सामाजिक सोच बदलने की बात नहीं करता, बल्कि नीतिगत परिवर्तन की भी आवश्यकता है, ताकि आत्महत्या रोकथाम को सार्वजनिक नीति में प्राथमिकता दी जा सके, गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों, और संकटग्रस्त व्यक्तियों तक समय पर सहायता पहुंच सके।
आत्महत्या रोकथाम की जागरूकता का प्रतीक 2016 में लॉन्च किया गया पीला और नारंगी रंग का रिबन है। यह रिबन मोमबत्ती की लौ का प्रतीक है, जो अंधेरे से प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश देता है। सोशल मीडिया पर जुड़े अभियानों ने करोड़ों लोगों तक आत्महत्या रोकथाम का संदेश पहुंचाया है।
भारत में आत्महत्या के कई कारण हैं, जैसे पारिवारिक समस्याएं, बीमारियां और आर्थिक संकट। इसके अलावा दहेज, तलाक, विवाह संबंधी तनाव, अवांछित गर्भधारण, विवाहेतर संबंध और सामाजिक दबाव भी प्रमुख कारण हैं। घरेलू हिंसा का आत्मघाती विचारधारा से गहरा संबंध पाया गया है और किसानों की आत्महत्याओं ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट 'आत्महत्या रोकथाम: एक वैश्विक अनिवार्यता' यह मानती है कि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस ने जागरूकता बढ़ाने और कलंक को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज 60 से अधिक देशों में यह दिन सैकड़ों कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है और यह अब वैश्विक स्तर पर आत्महत्या रोकथाम का प्रतीक बन चुका है।