क्या अनिल अंबानी ने ईडी के समन को फिर नजरअंदाज किया?
सारांश
Key Takeaways
- अनिल अंबानी ने ईडी के समन का पालन नहीं किया।
- फेमा जांच में अनिल अंबानी का बयान आवश्यक है।
- ईडी द्वारा उठाए गए कदमों से रिलायंस ग्रुप की छवि पर प्रभाव पड़ सकता है।
- अनिल अंबानी ने वर्चुअल पेशी का प्रस्ताव दिया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया।
- जांच में अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क से संबंधों की संभावना है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रिलायंस एडीएजी ग्रुप के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने जयपुर-रींगस हाइवे परियोजना से संबंधित फेमा जांच के तहत सोमवार को दूसरे समन के बावजूद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए। हालांकि, उन्होंने वर्चुअल पेशी का प्रस्ताव दिया है।
इससे पहले, शुक्रवार को अनिल अंबानी को व्यक्तिगत रूप से दिल्ली के ईडी मुख्यालय में उपस्थित होना था, लेकिन वे पूछताछ के लिए नहीं आए और वर्चुअल पेश की अनुमति मांगी, जिसे जांच एसेंजी ने अस्वीकार कर दिया और सोमवार को पेशी के लिए दूसरा समन जारी किया गया।
ईडी के सूत्रों के अनुसार, एजेंसी फेमा के तहत उनका बयान दर्ज करना चाहती है। यह जांच उन आरोपों के आधार पर शुरू हुई थी, जिसमें कहा गया था कि रिलायंस इंफ्रा ने 2010 में प्राप्त हाइवे परियोजना के लगभग 40 करोड़ रुपए को सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से दुबई भेजने का प्रयास किया है।
जांचकर्ताओं का मानना है कि यह लेन-देन एक बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जिसका अनुमानित आकार 600 करोड़ रुपए से अधिक है।
अनिल अंबानी ने पहले जारी समन के जवाब में शुक्रवार को ईडी के समक्ष वर्चुअल पेशी के लिए ईमेल के माध्यम से अनुरोध भेजा था। हालांकि, वित्तीय जांच एजेंसी ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और उन्हें 17 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए एक और समन जारी करने का निर्णय लिया।
रिलायंस समूह के एक प्रवक्ता ने हाल ही में कहा कि "अनिल अंबानी ने ईडी के लिए उपयुक्त किसी भी तारीख और समय पर वर्चुअल उपस्थिति/रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से अपना बयान दर्ज कराने के लिए खुद को उपलब्ध कराने की पेशकश की है।"
प्रवक्ता ने आगे कहा, "अनिल डी. अंबानी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक लगभग पंद्रह वर्षों तक कंपनी में केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया, और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में कभी शामिल नहीं रहे।"
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) चार वर्षों से अधिक समय से इस सड़क का संचालन कर रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि यह पूरी तरह से एक घरेलू अनुबंध था, जिसमें कोई विदेशी मुद्रा अनुबंध नहीं था।
इससे पहले, अगस्त में ईडी मुख्यालय में कथित 17,000 करोड़ रुपए के ऋण धोखाधड़ी मामले में उनसे लगभग नौ घंटे तक कड़ी पूछताछ हुई थी।
यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब ईडी ने सोमवार को नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 4,462.81 करोड़ रुपए मूल्य की 132 एकड़ से अधिक भूमि को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अस्थायी रूप से कुर्क किया था।
ईडी ने इससे पहले रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के बैंक धोखाधड़ी मामलों में 3,083 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 42 संपत्तियां जब्त की थीं।
-राष्ट्र प्रेस
एबीएस/