क्या अक्टूबर में भारत में आईपीओ से रिकॉर्ड 46,000 करोड़ की फंड रेजिंग हुई?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- अक्टूबर में 14 कंपनियों ने 46,000 करोड़ रुपए जुटाए।
- टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने प्रमुख योगदान दिया।
- लेंसकार्ट सॉल्यूशन ने 7,278 करोड़ का इश्यू जारी किया।
- पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए गए हैं।
- विश्लेषकों का मानना है कि यह प्राइमरी मार्केट की मजबूती को दर्शाता है।
मुंबई, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्राइमरी मार्केट के लिए अक्टूबर का महीना बेहद शानदार रहा है। यह महीना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए एक व्यस्त समय साबित हुआ है। अब तक 14 कंपनियों ने 46,000 करोड़ रुपए से अधिक जुटाने के इरादे से बाजार में कदम रखा है।
घरेलू पूंजी बाजारों में इस महीने मंथली फंडरेजिंग के लिए एक नया रिकॉर्ड स्थापित हुआ है, जो कि टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की लिस्टिंग के जोर से संभव हो पाया है। इन दोनों ने कुल फंड रेजिंग में आधे से ज्यादा का योगदान दिया है।
जहां, टाटा कैपिटल ने 15,512 करोड़ रुपए की राशि जुटाई, वहीं एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने 11,607 करोड़ रुपए आरंभिक शेयर बिक्री से प्राप्त किए।
इस गति को आगे बढ़ाते हुए, लेंसकार्ट सॉल्यूशन ने 31 अक्टूबर को अपना 7,278 करोड़ रुपए का इश्यू जारी किया, जो कि 4 नवंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा। इस महीने वीवर्क इंडिया, केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस, ओर्कला इंडिया और रूबिकॉन रिसर्च के ऑफर भी शामिल रहे।
पिछले वर्ष 2024 के अक्टूबर में छह आईपीओ ने 38,690 करोड़ रुपए जुटाकर एक मंथली हाई रिकॉर्ड बनाया था, जिसे इस बार के रिकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन ने पीछे छोड़ दिया है। हालिया आंकड़ों ने पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है, जब नवंबर 2021 में नौ आईपीओ से 35,665 करोड़ रुपए और नवंबर 2024 में आठ आईपीओ से 31,145 करोड़ रुपए जुटाए गए थे।
वर्ष 2025 की बात करें तो अब तक 89 आईपीओ ने 1.38 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाई है, जो इसे एक मजबूत वर्ष बनाता है। साल के अंत में नवंबर और दिसंबर में कई और आईपीओ प्राइमरी मार्केट में आने की उम्मीद है, जिससे 2024 का रिकॉर्ड टूटने की संभावना है। फंड रेजिंग 1.60 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर चुकी थी।
विश्लेषकों का कहना है कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारत के प्राइमरी मार्केट की मजबूती और लिक्विडिटी की गहराई को दर्शाती है, जो वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बीच भी वाइब्रेंट बना हुआ है।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                             
                            