क्या भारत ने 2025 में अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयाँ छुईं?
सारांश
Key Takeaways
- भारत ने स्पेस डॉकिंग में चौथा स्थान हासिल किया।
- गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण परीक्षण सफल रहे।
- निजी स्पेस सेक्टर में वृद्धि हुई है।
- आदित्य-एल1 ने सूर्य का निरंतर अवलोकन किया।
- इसरो ने 100वीं लॉन्च की।
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। इसरो के एलवीएम3-एम6 रॉकेट ने एक ऐतिहासिक क्षण में अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल की ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट, जो अब तक का सबसे भारी उपग्रह है, को सफलतापूर्वक 'लो अर्थ ऑर्बिट' (एलईओ) में स्थापित किया। इस उपलब्धि ने वैश्विक स्तर पर ध्यान खींचा। इस वर्ष स्पेस डॉकिंग, मानव अंतरिक्ष यान की तैयारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसी कई महत्वपूर्ण सफलताएँ भी प्राप्त हुईं, जिससे दुनिया ने भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में मजबूत स्थिति को स्वीकार किया।
साल की शुरुआत में, भारत स्पेस डॉकिंग में चौथा देश बना। स्पेस डॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसमें अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को सही ढंग से जोड़ा जाता है, जिससे वे एक साथ कार्य कर सकें। 30 दिसंबर 2024 को शुरू हुए स्पैडेक्स मिशन (पीएसएलवी-सी60) के अंतर्गत दो छोटे उपग्रहों (एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02) की सफल डॉकिंग 16 जनवरी 2025 को पूरी हुई।
इस प्रकार, भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया, जिसने अंतरिक्ष में डॉकिंग की। यह तकनीक भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर मानव मिशन के लिए आवश्यक है। इसके बाद अन्डॉकिंग, पावर ट्रांसफर और रोलिंग प्रयोग भी सफल रहे।
इसके अलावा, इस वर्ष पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय स्पेस सेंटर (आईएसएस) पर पहुंचा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जून 2025 में एक्सिऑम-4 मिशन के तहत आईएसएस पहुंचे और 18 दिनों तक वहां रहे। बैकअप कैप्टन प्रसांत बालकृष्णन नायर भी थे। यह 'गगनयान' मिशन के लिए महत्वपूर्ण अनुभव साबित हुआ।
2025 में 100वीं लॉन्च और नेविगेशन में मजबूती आई। 29 जनवरी 2025 को जीएसएलवी-एफ15/एनवीएस-02 की लॉन्चिंग से इसरो की 100वीं लॉन्च हुई। एनवीएस-02 ने एनएवीआईसी (भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम) को मजबूत किया।
भारी उपग्रह लॉन्च और एलवीएम3 की सफलता भी महत्वपूर्ण रही। 2 नवंबर 2025 को एलवीएम3-एम5 से सीएमएस-03 (भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह) लॉन्च किया गया। 24 दिसंबर 2025 को एलवीएम3-एम6 से ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 (6,100 किग्रा, एलईओ में सबसे बड़ा कमर्शियल संचार उपग्रह) का सफल लॉन्च हुआ। एलवीएम3 की 100 प्रतिशत सफलता (8-9 लगातार मिशन) ने गगनयान के लिए विश्वास बढ़ाया।
इस वर्ष गगनयान प्रोग्राम की प्रगति तेज रही। इस मिशन का 90 प्रतिशत विकास कार्य पूरा हुआ। कई महत्वपूर्ण परीक्षण (पैराशूट, एयर ड्रॉप, ड्रोग्यू पैराशूट क्वालिफिकेशन) सफल रहे। लक्ष्य के अनुसार, यह 2027 में मानवयुक्त मिशन होगा, जिसमें 2025-26 में अनक्रूड परीक्षण भी शामिल है।
जुलाई 2025 में निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) मिशन जीएसएलवी-एफ16 से लॉन्च होगा। यह दुनिया का सबसे उन्नत अर्थ अवलोकन उपग्रह है, जो कृषि, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण की निगरानी में क्रांति लाएगा। इसरो-नासा का यह सहयोग भारत की वैश्विक साझेदारी को मजबूत करता है।
नवंबर 2025 में एलवीएम3-एम5 मिशन से सीएमएस-03 (सबसे भारी भारतीय संचार उपग्रह, लगभग 4,400 किलो) लॉन्च हुआ। इस मिशन में सी25 क्रायोजेनिक स्टेज का पहली बार इन-ऑर्बिट रीस्टार्ट सफल रहा। एलवीएम3 की 8 मिशन 100 प्रतिशत सफल रही, जो भारत की भारी लिफ्ट क्षमता को दर्शाती है।
गगनयान प्रोग्राम 2025 में 90 प्रतिशत अधिक पूरा हुआ। कई महत्वपूर्ण परीक्षण सफल रहे, जिसमें इंटीग्रेटेड एयर-ड्रॉप टेस्ट, पैराशूट डिप्लॉयमेंट, क्रू मॉड्यूल टेस्ट, सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन का बूटस्ट्रैप मोड स्टार्ट और सेमी-क्रायोजेनिक इंजन टेस्ट शामिल हैं। पहला अनक्रूड ऑर्बिटल टेस्ट 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में होने की संभावना है। इस मिशन के लिए महत्वपूर्ण साल होने के नाते 2025 को इसरो ने 'गगनयान ईयर' घोषित किया था।
आदित्य-एल1, भारत का पहला समर्पित सूर्य मिशन, 2025 में वैज्ञानिक उपलब्धियों से भरा रहा। एल1 पॉइंट पर स्थित यह यान निरंतर सूर्य का अवलोकन कर रहा है। जनवरी 2025 में इसरो ने मिशन के पहले वर्ष की वैज्ञानिक डेटा वैश्विक समुदाय के लिए जारी की। फरवरी में दूसरा सेट जारी हुआ।
इसके अलावा, अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र में भी उछाल देखने को मिला। 300 से अधिक स्पेस स्टार्टअप, 100 प्रतिशत एफडीआई, इन-स्पेस की नई नीति और 1,000 करोड़ रुपएग्लोबल स्पेस इकोनॉमी में 8-10 प्रतिशतऑर्बिटल लॉन्च, सैटेलाइट सर्विसेज और कमर्शियल मिशन्स में आगे बढ़ रहे हैं।
कुल मिलाकर, 2025 में इसरो ने तकनीकी आत्मनिर्भरता, कमर्शियल लॉन्च, मानव अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी और वैश्विक सहयोग में नई ऊंचाइयाँ छुईं। यह साल 'स्पेस विजन 2047' की दिशा में मजबूत कदम रहा। भारत अब अंतरिक्ष में न केवल सपने देख रहा है, बल्कि उन्हें वास्तविकता में बदल भी रहा है।