क्या टीबी मरीज के निकटजन संक्रमित है या नहीं, ये चेस्ट एक्स-रे से पता करना नाकाफी है?

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क्या टीबी मरीज के निकटजन संक्रमित है या नहीं, ये चेस्ट एक्स-रे से पता करना नाकाफी है?

सारांश

क्या चेस्ट एक्स-रे वाकई में ट्यूबरकुलोसिस के बिना लक्षण वाले मरीजों का पता लगा सकते हैं? हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस सवाल का जवाब दिया है। जानें इस अध्ययन में क्या खुलासा हुआ है और क्यों यह चिंताजनक है।

Key Takeaways

  • चेस्ट एक्स-रे बिना लक्षण वाले ट्यूबरकुलोसिस का पता लगाने के लिए प्रभावी नहीं है।
  • 82.4 प्रतिशत संक्रमित परिजनों में कोई लक्षण नहीं दिखे।
  • चेस्ट रेडियोग्राफ ने 40 प्रतिशत मामलों का पता नहीं लगाया।
  • अध्ययन में कम्युनिटी प्रिवेलेंस सर्वे पर जोर दिया गया है।
  • ट्यूबरकुलोसिस का निदान और उपचार नई तकनीकों की मांग कर रहा है।

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जर्नल द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, लक्षणों के आधार पर आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले चेस्ट एक्स-रे संक्रमित मरीज के परिजनों में एसिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षणों वाले) ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) संक्रमण का पता लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

दक्षिण अफ्रीका की केप टाउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तीन दक्षिण अफ्रीकी समुदायों में पल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस (फेफड़ों का क्षयरोग) के 979 निकट संबंधियों की यूनिवर्सल स्प्यूटम माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्टिंग (बलगम जांच) के साथ सिस्टमैटिक स्क्रीनिंग की।

उन्होंने माइक्रोबायोलॉजिकल रेफरेंस स्टैंडर्ड के मुकाबले ट्यूबरकुलोसिस के लक्षण (किसी भी अवधि के) और चेस्ट रेडियोग्राफ (सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस का संकेत देने वाली कोई असामान्यता) स्क्रीनिंग तरीकों की तुलना की।

टीम ने 5.2 प्रतिशत परिजनों में पल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस की पुष्टि की, और इनमें से 82.4 प्रतिशत में कोई लक्षण नहीं दिखे। चिंता की बात यह है कि चेस्ट रेडियोग्राफ 40 प्रतिशत मामलों का पता नहीं लगा पाए।

यूनिवर्सिटी में साउथ अफ्रीकन ट्यूबरकुलोसिस वैक्सीन इनिशिएटिव के प्रमुख लेखक डॉ. साइमन सी. मेंडेलसोहन ने कहा, "ट्यूबरकुलोसिस से कन्फर्म 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखे; चेस्ट रेडियोग्राफ स्क्रीनिंग इनमें से 40 प्रतिशत से ज्यादा मामलों का पता नहीं लगा पाई।"

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2023 में दुनिया भर में ट्यूबरकुलोसिस वाले अनुमानित 10.8 मिलियन लोगों में से लगभग 2.7 मिलियन (25 प्रतिशत) का निदान या इलाज नहीं हो पाया।

हालांकि इन तथाकथित लापता लाखों लोगों को ढूंढना और उनका इलाज करना महत्वपूर्ण है, चुनौती यह है कि इनमें से अधिकांश में कोई लक्षण पाए ही नहीं जाते हैं।

टीम ने पेपर में कहा, "कम्युनिटी प्रिवेलेंस सर्वे में पाए गए सभी ट्यूबरकुलोसिस में से आधे से ज्यादा को एसिम्प्टोमैटिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो ऐसे लोगों में होता है जिन्हें खांसी, बुखार, रात में पसीना आना और वजन कम होने जैसे ट्यूबरकुलोसिस के विशिष्ट लक्षण नहीं होते हैं, या वे उन्हें पहचानते या रिपोर्ट नहीं करते हैं।"

इस अध्ययन में, परिजनों में एसिम्प्टोमैटिक ट्यूबरकुलोसिस में लो बैक्टीरियल लोड (जीवाणुओं की बहुत कम मात्रा) था और यह कम सीरम सी-रिएक्टिव प्रोटीन कंसंट्रेशन से भी जुड़ा था जो स्वस्थ लोगों से अलग नहीं था। हालांकि, ये क्लिनिक आने वाले लोगों के एक तुलनात्मक समूह में सिम्प्टोमैटिक ट्यूबरकुलोसिस से अलग थे।

एसिम्प्टोमैटिक ट्यूबरकुलोसिस के लिए चेस्ट रेडियोग्राफ स्क्रीनिंग की सेंसिटिविटी केवल 56.1 प्रतिशत थी; सभी ट्यूबरकुलोसिस के लिए संयुक्त लक्षण और चेस्ट रेडियोग्राफ स्क्रीनिंग की सेंसिटिविटी थोड़ी ज्यादा 64.0 प्रतिशत थी।

मेंडेलसोहन ने कहा, "हाउसहोल्ड कॉन्टैक्ट्स से मिले हमारे नतीजों से पता चलता है कि लक्षणों और चेस्ट रेडियोग्राफ पर आधारित तरीके कम्युनिटी ट्यूबरकुलोसिस स्क्रीनिंग के लिए पर्याप्त नहीं हैं।"

Point of View

इस अध्ययन के परिणाम हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि हमें ट्यूबरकुलोसिस के निदान और उपचार में नई तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। बिना लक्षण वाले मरीजों का पता लगाना एक बड़ी चुनौती है, और इसे प्राथमिकता देनी चाहिए।
NationPress
14/12/2025

Frequently Asked Questions

चेस्ट एक्स-रे से ट्यूबरकुलोसिस का पता कैसे लगाया जाता है?
चेस्ट एक्स-रे का उपयोग फेफड़ों में किसी भी असामान्यता का पता लगाने के लिए किया जाता है, लेकिन यह बिना लक्षण वाले ट्यूबरकुलोसिस का पता लगाने में प्रभावी नहीं है।
क्या बिना लक्षण वाले टीबी मरीजों का इलाज संभव है?
हाँ, बिना लक्षण वाले टीबी मरीजों का इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए सही निदान की आवश्यकता होती है।
क्या यह अध्ययन टीबी के इलाज में बदलाव लाएगा?
इस अध्ययन के परिणाम संभवतः ट्यूबरकुलोसिस की स्क्रीनिंग और निदान की विधियों में बदलाव ला सकते हैं।
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