क्या कोविड-19 के दोबारा संक्रमण से बच्चों में लॉन्ग कोविड का खतरा दोगुना हो जाता है?

सारांश
Key Takeaways
- दोबारा संक्रमण से लॉन्ग कोविड का खतरा बढ़ता है।
- लॉन्ग कोविड से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- वैक्सीनेशन बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
- टीके संक्रमण की संभावना को कम करते हैं।
- जागरूकता फैलाना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बच्चों में कोविड-19 का दोबारा संक्रमण होने पर लॉन्ग कोविड का खतरा दोगुना हो जाता है। यह तथ्य द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज पत्रिका में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण अध्ययन में सामने आया है।
इस रिसर्च में अमेरिका के 40 बच्चों के अस्पतालों से 4 लाख 60 हजार से अधिक बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया। इसमें स्पष्ट हुआ कि जब बच्चे पहली बार कोविड-19 से संक्रमित होते हैं, तो हर लाख में लगभग 904 बच्चों को छह महीने के भीतर लॉन्ग कोविड जैसी समस्याएं होती हैं। लेकिन दोबारा कोविड-19 से संक्रमित होने पर यह संख्या दोगुनी से भी अधिक बढ़कर प्रति दस लाख बच्चों में लगभग 1,884 हो गई।
लॉन्ग कोविड एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे संक्रमण के बाद लंबे समय तक बीमार रहते हैं या उनके शरीर में विभिन्न समस्याएं बनी रहती हैं। इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि दोबारा संक्रमण के बाद बच्चों को दिल की सूजन यानी मायोकार्डिटिस, खून के थक्के, गुर्दे में परेशानी, सोचने-समझने में दिक्कत, थकान और सांस लेने में कठिनाई जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ये समस्याएं दुर्लभ हैं, लेकिन यदि ये हो जाएं तो बच्चों के लिए बहुत कठिनाई पैदा कर सकती हैं।
पेंसिल्वेनिया, आयोवा और कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने कहा, "यह अध्ययन इस बात को साबित करता है कि कोविड-19 केवल एक साधारण सर्दी या जुकाम नहीं है। यह बीमारी बच्चों के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है और लंबे समय तक उनकी सेहत पर असर डाल सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि बच्चों को कोविड-19 से बचाने के लिए वैक्सीनेशन को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही, वैज्ञानिकों को इस बीमारी को बेहतर समझने और इलाज खोजने के लिए और अधिक रिसर्च करनी चाहिए।"
यह अध्ययन जनवरी 2022 से अक्टूबर 2023 के बीच किया गया। उस समय कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से फैल रहा था। इस कारण बच्चों में कोविड के दोबारा संक्रमण के मामले भी बढ़े हैं। शोधकर्ताओं ने बच्चों के पहले और दूसरे कोविड संक्रमण के बाद उनकी सेहत का तुलनात्मक अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि दोबारा संक्रमण के बाद भी बच्चों में लॉन्ग कोविड का खतरा बना रहता है, हालाँकि यह खतरा बच्चे की पहले की संक्रमण की गंभीरता, टीकाकरण की स्थिति और अन्य कारकों पर निर्भर करता है।
टीम ने इस बात पर जोर दिया कि टीके और अन्य सुरक्षा उपाय पूरी तरह से कोविड को रोक नहीं पाते, लेकिन ये बच्चों में संक्रमण और दोबारा संक्रमण की संभावना को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका हैं। इससे न केवल कोविड से बचाव होता है बल्कि लॉन्ग कोविड जैसी गंभीर समस्याओं का जोखिम भी कम होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों और किशोरों में कोविड टीकाकरण कवरेज बढ़ाना अब सबसे जरूरी कदम है।