क्या देशी मधुमक्खियों का शहद एंटीबायोटिक का प्राकृतिक विकल्प बन सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- शुगरबैग हनी बैक्टीरिया को मारने की क्षमता रखता है।
- यह एंटीबायोटिक का एक प्राकृतिक विकल्प हो सकता है।
- इसकी विशेषताएं अन्य शहदों से अलग हैं।
- बिना डंक वाली मधुमक्खियां केवल आधा लीटर शहद बनाती हैं।
- यह पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग होता आया है।
नई दिल्ली, २४ जून (राष्ट्र प्रेस) ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार के शहद का पता लगाया है, जिसे देशी बिना डंक वाली मधुमक्खियां बनाती हैं। यह शहद सामान्य शहद से भिन्न है, क्योंकि इसमें ऐसे गुण शामिल हैं जो बैक्टीरिया को समाप्त करने में सहायता कर सकते हैं।
स्थानीय लोगों द्वारा इसे 'शुगरबैग हनी' के नाम से जाना जाता है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, ऑस्ट्रोप्लेबिया ऑस्ट्रेलिस जैसी तीन प्रजातियों के शहद में ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो बैक्टीरिया को मारने की क्षमता रखते हैं, जिससे यह एंटीबायोटिक दवाओं का एक बेहतर विकल्प बन सकता है।
सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि इस शहद को गर्म करने पर भी इसकी बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बनी रहती है। इसके अलावा, जब लंबे समय तक शहद को रखा जाता है, तो यह अपने विशेष गुणों को नहीं खोता है।
यह विशेषता इस शहद को यूरोपीय मधुमक्खियों के शहद से अलग बनाती है। यूरोपीय मधुमक्खियों के शहद की एंटीबायोटिक विशेषताएं मुख्य रूप से हाइड्रोजन पेरोक्साइड पर निर्भर करती हैं, जो गर्मी या समय के साथ कमजोर हो सकती हैं।
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि बिना डंक वाली मधुमक्खियों के शहद की कीटाणु मारने की शक्ति दो तरीकों से, हाइड्रोजन पेरोक्साइड और गैर-हाइड्रोजन पेरोक्साइड के माध्यम से कार्य करती है।
अध्ययन के मुख्य लेखक केन्या फर्नांडीस ने कहा कि इस शहद की कीटाणु मारने की शक्ति लगभग हर जगह एक समान पाई गई है। इसके लिए केवल पौधे ही नहीं, बल्कि मधुमक्खियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
सिडनी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डी कार्टर ने कहा, ''शुगरबैग हनी हर जगह और हर समय लगभग एक जैसा काम करती है, जबकि आम मधुमक्खी का हनी मौसम और फूलों के बदलाव के साथ भिन्न प्रभाव डालता है।''
अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी द्वारा प्रकाशित एप्लाइड एंड एनवायरनमेंटल माइक्रोबायोलॉजी में इस अध्ययन के अनुसार, यह शहद पारंपरिक रूप से ऑस्ट्रेलिया के स्थानीय लोग खाना खाने और उपचार के लिए उपयोग करते रहे हैं। अब इसे सिंथेटिक एंटीबायोटिक्स के स्थान पर एक प्राकृतिक और प्रभावी विकल्प माना जा रहा है।
हर बिना डंक वाली मधुमक्खी का छत्ता साल में केवल आधा लीटर शहद बनाता है, लेकिन इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर संभव है।