क्या भारत में हाइड्रोजन युग की शुरुआत हो चुकी है, हरदीप पुरी ने क्या कहा?

Click to start listening
क्या भारत में हाइड्रोजन युग की शुरुआत हो चुकी है, हरदीप पुरी ने क्या कहा?

सारांश

भारत ने हाइड्रोजन युग में कदम रखा है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा है। यह कदम न केवल ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करेगा। जानें इसके पीछे की कहानी और पहल।

Key Takeaways

  • भारत का 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य।
  • ग्रीन हाइड्रोजन की कीमतों में कमी और आयात पर बचत।
  • 19 कंपनियों को ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं का आवंटन।
  • भारत का वैश्विक हाइड्रोजन मार्केट में 10% हिस्सा हासिल करना।
  • ऊर्जा सुरक्षा के लिए अपस्ट्रीम गतिविधियों में निवेश।

नई दिल्ली, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत में हाइड्रोजन का नया युग प्रारंभ हो चुका है। इस दिशा में, भारत का लक्ष्य है कि वह 2030 तक हर वर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करे।

ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत में कमी आई है, जो पहले 3.50 डॉलर प्रति किलोग्राम थी, अब यह 3 डॉलर प्रति किलोग्राम हो गई है, जिससे भारत को 150 बिलियन डॉलर की बचत हुई है।

मंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में जानकारी दी कि सरकारी कंपनियां (पीएसयू) 2030 तक 1 एमएमटी की क्षमता हासिल करने की योजना बना रही हैं और टेंडर की मात्रा 42 किलो टन प्रति वर्ष (केटीपीए) से बढ़कर 170 केटीपीए हो जाएगी।

पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक हाइड्रोजन मार्केट का 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने बताया कि लगभग 900 केटीपीए क्षमता वाली 19 कंपनियों को पहले ही ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं का आवंटन किया जा चुका है।

एक अन्य एक्स पोस्ट में मंत्री ने कहा कि भारत, जो कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, वैश्विक ऊर्जा समीकरण का केंद्र बन चुका है।

केंद्रीय मंत्री पुरी ने बताया, "651.8 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) रिकवरेबल कच्चे तेल और 1,138.6 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) रिकवरेबल प्राकृतिक गैस के साथ, देश अब छिपी हुई ऊर्जा संभावनाओं को प्रस्तुत करने के लिए तैयार है।"

उन्होंने कहा कि भारत अपस्ट्रीम गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश, वित्तीय प्रोत्साहन और नीति को सरल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्रीय मंत्री के अनुसार, पिछले दशक में नए एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (एनईएलपी) से हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन और लाइसेंसिंग पॉलिसी (एचईएलपी), 'प्रोडक्शन शेयरिंग' व्यवस्था से 'रेवेन्यू शेयरिंग' व्यवस्था और ओपन एक्रेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) राउंड शुरू करने जैसे साहसिक सुधार देखे गए हैं।

ओएएलपी का राउंड सबसे बड़ा टेंडर राउंड था, जिसमें 1.92 लाख वर्ग किमी क्षेत्र उपलब्ध कराया गया।

मंत्री ने कहा, "हमारी प्रयासों ने शानदार नतीजे दिए हैं। एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन (ईएंडपी) में 1.4 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया है, जिससे बड़ी तरक्की हुई है। वित्त वर्ष 25 में 578 कुएं खोदे गए, जो कि 35 वर्षों में ओएनसीजी का एक आंकड़ा है। इसके अलावा, मजबूत ऑफशोर कार्यक्रम के अंतर्गत 5,000 से अधिक एक्सप्लोरेटरी और डेवलपमेंट कुएं भी खोदे गए।

Point of View

वह न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगी। यह कदम भारत की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन कब शुरू होगा?
भारत का लक्ष्य 2030 तक हर वर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।
हाइड्रोजन की कीमत में कमी का क्या प्रभाव होगा?
हाइड्रोजन की कीमत में कमी से आयात पर 150 बिलियन डॉलर की बचत होगी।
भारत की हाइड्रोजन नीति का क्या महत्व है?
यह नीति भारत को वैश्विक हाइड्रोजन मार्केट में 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने में मदद करेगी।
कौन सी कंपनियाँ ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में शामिल हैं?
लगभग 19 कंपनियों को ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं।
भारत में ऊर्जा सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
भारत अपस्ट्रीम गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश और नीति को सरल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।