क्या गंभीर लिवर रोग के इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से नई उम्मीद मिली?
सारांश
Key Takeaways
- नेबोकिटुग एक नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है जो पीएससी के मरीजों के लिए विकसित की गई है।
- यह दवा क्लिनिकल ट्रायल में सुरक्षित और प्रभावी साबित हुई है।
- इससे लिवर की सूजन और फाइब्रोसिस में कमी आने की संभावना है।
- पीएससी रोगियों के लिए यह एक नई उम्मीद का संकेत है।
- नेबोकिटुग के परीक्षणों में गंभीर साइड इफेक्ट नहीं पाए गए।
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दुर्लभ लिवर रोग प्राइमरी स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस (पीएससी) से पीड़ित मरीजों के लिए एक सकारात्मक समाचार सामने आया है। एक नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा 'नेबोकिटुग' ने हाल ही में किए गए क्लिनिकल ट्रायल में न केवल सुरक्षित होने का प्रमाण दिया है, बल्कि प्रभावी परिणाम भी प्रस्तुत किए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह खोज उस समय आई है जब इस बीमारी का कोई ठोस इलाज उपलब्ध नहीं था, सिवाय लिवर ट्रांसप्लांट के।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-डेविस की टीम ने नेबोकिटग नामक एक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-फाइब्रोटिक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का परीक्षण किया और पाया कि यह पीएससी के मरीजों के लिए सुरक्षित और प्रभावशाली है।
इन परिणामों को अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में प्रकाशित किया गया है, जो पीएससी के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है, जिनके लिए फिलहाल लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई प्रभावी उपचार नहीं है।
हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यह दवा फेज-2 क्लिनिकल ट्रायल में परीक्षण की गई, जिसमें पांच देशों के मरीज शामिल थे। अध्ययन के परिणामों में यह पाया गया कि नेबोकिटुग से लिवर में सूजन और फाइब्रोसिस (लिवर ऊतकों में जख्म जैसी स्थिति) को कम करने में मदद मिली। उपचार के बाद मरीजों के लिवर फंक्शन से जुड़े संकेतकों में सुधार देखा गया, जिससे बीमारी की प्रगति धीमी होती नजर आई।
यूसी डेविस हेल्थ में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी के प्रमुख क्रिस्टोफर बाउलस ने कहा, "ट्रायल में, नेबोकिटग ने दिखाया कि यह फाइब्रोसिस और सूजन को कम करके पीएससी के मरीजों की गुणवत्ता जीवन में सुधार कर सकता है, जिससे बेहतर नतीजे प्राप्त होने की उम्मीद है।"
"ये नतीजे पीएससी के मरीजों के लिए उत्साहजनक हैं, जिन्हें एक प्रभावी, एफडीए-अप्रूव्ड थेरेपी की सख्त आवश्यकता है।"
पीएससी एक दुर्लभ लिवर रोग है जो पित्त नलिकाओं में सूजन और निशान का कारण बनता है। ये नलिकाएं लिवर से छोटी आंत तक पित्त ले जाती हैं ताकि फैट को पचाने में सहायता हो सके। जब ये नलिकाएं खराब हो जाती हैं और सिकुड़ जाती हैं, तो लिवर में पित्त जमा हो जाता है, जिससे समय के साथ लिवर को गंभीर नुकसान होता है।
पीएससी का सटीक कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन अधिकांश मरीजों में इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज मौजूद होती है, जो आंतों की सूजन और लिवर के बीच संबंध को दर्शाती है।
लक्षणों में थकान, खुजली और पीलिया शामिल हो सकते हैं, हालांकि कुछ मरीजों में प्रारंभ में कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसका कोई विशिष्ट इलाज नहीं है और गंभीर मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ सकती है।
नेबोकिटग एक प्रयोगशाला में विकसित की गई एंटीबॉडी है जिसे सीसीएल24 नामक प्रोटीन को ब्लॉक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रोटीन लिवर में कुछ इन्फ्लेमेटरी कोशिकाओं के संपर्क में आकर सूजन और घाव के निशान छोड़ देता है।
पीएससी में, सीसीएल24 का स्तर सामान्य से अधिक होता है और यह पित्त नलिकाओं के आसपास पाया जाता है, जहां यह लिवर को नुकसान पहुंचाने में मदद करता है। अध्ययन से यह पता चला है कि सीसीएल24 को ब्लॉक करने से इन हानिकारक प्रक्रियाओं को कम किया जा सकता है।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी दवा को सकारात्मक बताया गया है। ट्रायल के दौरान किसी भी मरीज में गंभीर साइड इफेक्ट दर्ज नहीं किए गए। कुछ मरीजों में हल्का बुखार या इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द जैसी मामूली समस्याएं सामने आईं, जो थोड़े समय में अपने-आप ठीक हो गईं। डॉक्टरों का कहना है कि यह संकेत देता है कि दवा को आगे के बड़े परीक्षणों में भी आजमाया जा सकता है।