क्या गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण नवजात शिशुओं के दिमाग के विकास को प्रभावित कर सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण का दिमाग के विकास पर बुरा असर होता है।
- पीएम 2.5 जैसे प्रदूषक दिमाग की माइलिनेशन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
- अध्ययन में गर्भवती महिलाओं के प्रदूषण स्तर का मापन किया गया।
- बच्चों के दिमाग के विकास में बाधा डालने वाले प्रदूषकों का अध्ययन आवश्यक है।
- भविष्य में और शोध की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान समय में वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। विशेषकर जब गर्भवती महिलाओं और उनके आने वाले बच्चों की बात आती है, तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है। हाल ही में स्पेन के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया, जिसमें यह बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान यदि मां अधिक हवा के प्रदूषित कणों के संपर्क में आती हैं, तो यह नवजात बच्चे के दिमाग के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
इस अध्ययन को हॉस्पिटल डेल मार, बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ और सेंटर फॉर बायोमेडिकल नेटवर्क रिसर्च ऑन रेयर डिजीज के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया। उन्होंने विशेष रूप से हवा में मौजूद बहुत छोटे प्रदूषण कणों पर ध्यान केंद्रित किया, जिन्हें पीएम 2.5 कहा जाता है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि ये इंसानी बाल के लगभग तीस गुना पतले होते हैं। इन कणों में जलने वाली चीजों से निकलने वाले जहरीले पदार्थ शामिल होते हैं, साथ ही दिमाग के लिए आवश्यक तत्व जैसे लोहे, तांबे और जस्ता भी पाए जाते हैं।
जर्नल एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित परिणामों से यह स्पष्ट हुआ है कि जिन नवजात शिशुओं की माताओं को गर्भावस्था के दौरान अधिक पीएम 2.5 प्रदूषण का सामना करना पड़ा, उनके दिमाग में माइलिनेशन नामक प्रक्रिया धीमी हो रही थी। यह प्रक्रिया दिमाग के संकेतों के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक है।
अध्ययन के दौरान, शोध टीम ने गर्भवती महिलाओं के आस-पास के प्रदूषण स्तर को मापा और जन्म के बाद 132 नवजात बच्चों को चुना। इन बच्चों का एनआरआई स्कैन उनके जन्म के पहले महीने में किया गया, ताकि उनके दिमाग में माइलिनेशन की स्थिति का पता लगाया जा सके। एमआरआई स्कैन की मदद से वैज्ञानिक दिमाग के अंदर हो रहे परिवर्तनों को समझते हैं। इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट हुआ कि अधिक प्रदूषण के संपर्क में आए बच्चों के दिमाग में माइलिनेशन धीमा हो रहा था।
हॉस्पिटल डेल मार के रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. जेसुस पुजोल ने कहा, "माइलिनेशन की गति का बहुत तेज या बहुत धीमा होना बच्चों के लिए उचित नहीं है। दिमाग के विकास की सही गति होना आवश्यक है ताकि बच्चे की सोचने, समझने और सीखने की क्षमता सही तरीके से विकसित हो। लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं है कि इस अध्ययन में देखी गई धीमी माइलिनेशन बच्चे के भविष्य के लिए कितनी हानिकारक होगी। इसके लिए और अधिक शोध करना आवश्यक है।"
उन्होंने यह भी कहा, "यह अध्ययन दर्शाता है कि गर्भावस्था के दौरान हवा के प्रदूषण का सीधा प्रभाव नवजात बच्चों के दिमाग की परिपक्वता की प्रक्रिया पर पड़ता है। इस शोध के माध्यम से यह समझने की कोशिश की जाएगी कि दिमाग के विकास की सही गति क्या होनी चाहिए और कैसे मां और उसकी प्लेसेंटा बच्चे को प्रदूषण से बचा सकती हैं।"
शोधकर्ताओं ने यह सुझाव भी दिया है कि अभी यह समझना बाकी है कि हवा में मौजूद विभिन्न प्रदूषकों का दिमाग के विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है। हर प्रदूषक अलग होता है, इसलिए यह आवश्यक है कि हम इनके विभिन्न प्रभावों को समझें और जानें कि कौन से तत्व अधिक खतरनाक हैं।