क्या आईआईटी रुड़की का नया टूल बाढ़ से फैलने वाले बीमारियों की भविष्यवाणी कर सकता है?

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क्या आईआईटी रुड़की का नया टूल बाढ़ से फैलने वाले बीमारियों की भविष्यवाणी कर सकता है?

सारांश

आईआईटी रुड़की ने एक अनोखा टूल 'हायइको' विकसित किया है, जो बाढ़ के पानी में रोगजनक सूक्ष्मजीवों के फैलाव और जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करता है। यह उपकरण बाढ़ के दौरान स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

Key Takeaways

  • हायइको टूल बाढ़ के पानी में रोगजनक सूक्ष्मजीवों के फैलाव की पहचान करता है।
  • बाढ़ के खतरों को समझने और समय पर कार्रवाई करने में मदद करता है।
  • यह टूल दस्त और हैजा जैसी बीमारियों से बचाव में सहायक है।
  • हायइको का परीक्षण 2023 में दिल्ली में किया गया था।
  • यह विश्व के बाढ़ प्रभावित शहरों के लिए भी उपयोगी है।

नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के वैज्ञानिकों ने ‘हायइको’ नामक एक अद्वितीय टूल का विकास किया है। यह बाढ़ के पानी की गुणवत्ता का इंटीग्रेटेड मॉडलिंग प्लेटफॉर्म है, जो बाढ़ के दौरान रोगजनक सूक्ष्मजीवों के फैलने और अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करेगा।

यह हायइको टूल यह अनुमान लगाता है कि बाढ़ के पानी का फैलाव शहरों में कहाँ-कहाँ होगा और इसके साथ रोगजनक बैक्टीरिया कैसे फैलते हैं। इस टूल का परीक्षण 2023 में दिल्ली में आई बाढ़ के दौरान किया गया।

यह टूल दिखाता है कि बाढ़ का पानी किन क्षेत्रों में खतरनाक हो सकता है, ताकि पहले से सावधानी बरती जा सके। यह टूल सीवेज और कचरे से मिले पानी से होने वाली बीमारियों, जैसे दस्त या हैजा के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

इसके परिणाम चौंकाने वाले थे। 2023 में दिल्ली में आई बाढ़ में 60 प्रतिशत से अधिक प्रभावित क्षेत्र उच्च से अति उच्च जोखिम वाले थे। पानी में हानिकारक बैक्टीरिया (ई. कोलाई) सुरक्षित स्तर से लाखों गुना अधिक था, जो दस्त और हैजा जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

बच्चों को विशेष रूप से बाढ़ के पानी में खेलने से संक्रमण का खतरा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा स्तर से दोगुना से अधिक था। भारत के कई शहरों में बाढ़ का पानी असंसाधित सीवेज और औद्योगिक कचरे के साथ मिलकर जहरीला हो जाता है, जिससे दस्त, हैजा और अन्य खतरनाक जलजनित बीमारियों का प्रकोप हो सकता है।

हायइको इस खतरे को पहले से भांपने, हेल्थ डेंजर हॉटस्पॉट्स की पहचान करने और तुरंत कार्रवाई में मदद करता है। यह प्राधिकरणों को सीवेज उपचार में सुधार, मानसून से पहले नालों की सफाई, एसएमएस अलर्ट के जरिए निवासियों को चेतावनी और एडवांस वाटर क्लिनिंग टेक्निक का उपयोग करने में सहायता करता है।

आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग के प्रो. मोहित पी. मोहंती ने कहा, “बाढ़ सिर्फ इमारतों को नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि यह स्वास्थ्य संकट भी पैदा करता है। हायइको हमें सबसे ज्यादा खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान करने की क्षमता देता है, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।”

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने कहा, "यह रिसर्च साइंस के जरिए समाज की सेवा का बेहतरीन उदाहरण है। हायइको शहरों को बाढ़ के प्रत्यक्ष और छिपे खतरों से निपटने में मदद कर सकता है, जिससे भारत और विश्व में सुरक्षित, स्वस्थ और जलवायु-अनुकूल समुदाय बनाने में अहम भूमिका निभाई जा सकती है।"

हायइको को न केवल भारत बल्कि विश्व के बाढ़ प्रभावित शहरों जैसे मुंबई, मनीला, जकार्ता और न्यू ऑरलियन्स में उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। यह एक इनोवेटिव, विज्ञान-आधारित समाधान प्रदान करता है, जो बाढ़ के बाद जल जनित बीमारियों के खतरे को कम करता है।

यह शोध नमामि गंगे, स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे राष्ट्रीय मिशनों का भी समर्थन करता है।

यह शोध संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) जैसे एसडीजी 3 (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण), एसडीजी 6 (स्वच्छ पानी और स्वच्छता), एसडीजी 11 (सस्टेनबल शहर और समुदाय) और एसडीजी 13 (क्लाइमेट एक्शन) में भी मदद करता है।

Point of View

न केवल देश के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बाढ़ से संबंधित स्वास्थ्य खतरों को कम करने में मदद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि संकट के समय में उचित उपाय किए जा सकें।
NationPress
21/08/2025

Frequently Asked Questions

हायइको टूल क्या है?
यह एक इंटीग्रेटेड फ्लड वाटर क्वालिटी मॉडलिंग प्लेटफॉर्म है, जो बाढ़ के पानी में रोगजनक सूक्ष्मजीवों के फैलाव और जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करता है।
यह टूल कैसे काम करता है?
हायइको बाढ़ के दौरान पानी के फैलाव और रोगजनक बैक्टीरिया के प्रभाव का अनुमान लगाता है, जिससे हमें जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलती है।
इसका परीक्षण कब किया गया?
इस टूल का परीक्षण 2023 में दिल्ली में आई बाढ़ के दौरान किया गया।
यह टूल किन बीमारियों से बचने में मदद करता है?
यह टूल दस्त, हैजा और अन्य जलजनित बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
क्या यह टूल अन्य देशों में भी उपयोग किया जा सकता है?
हां, हायइको को विश्व के अन्य बाढ़ प्रभावित शहरों जैसे मुंबई, मनीला, जकार्ता, और न्यू ऑरलियन्स में भी उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है।