क्या इस हफ्ते एआई बबल चिंताओं के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली में कमी आई है?

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क्या इस हफ्ते एआई बबल चिंताओं के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली में कमी आई है?

सारांश

क्या इस हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयरों की बिक्री में कमी की है? जानें, एआई बबल चिंताओं के बीच एफआईआई की खरीददारी और बिक्री के ताजा आंकड़े।

Key Takeaways

  • एफआईआई ने अब तक 4,238 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं।
  • इस हफ्ते, एफआईआई ने कुछ कारोबारी सत्रों में खरीदार बनने के संकेत दिए हैं।
  • विश्लेषक एआई ट्रेड में कमी की उम्मीद कर रहे हैं।
  • नवम्बर में प्राइमरी मार्केट में निवेश का ट्रेंड 11,454 करोड़ रुपए है।
  • निफ्टी के नए हाई स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है।

मुंबई, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। इस महीने, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अब तक 4,238 करोड़ रुपए के भारतीय शेयरों की बिक्री की है। लेकिन, इस हफ्ते एफआईआई की निरंतर बिक्री की प्रवृत्ति में एक बदलाव देखने को मिला है, जहां वे कई कारोबारी सत्रों में खरीददार बनकर उभरे हैं।

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार, इस कैलेंडर वर्ष में एफआईआई ने 1,44,148 करोड़ रुपए के शेयरों की बिक्री की है, फिर भी अब तक वे शुद्ध खरीदार बने हुए हैं।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार, डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, "एफआईआई गतिविधियों में किसी बड़े बदलाव की कमी है, लेकिन नवंबर में कुछ दिनों के लिए वे खरीदार बन गए हैं।"

नवंबर में अब तक, प्राइमरी मार्केट में एफआईआई की खरीदारी और बिक्री का दीर्घकालिक ट्रेंड 11,454 करोड़ के निवेश के साथ जारी है। एक्सचेंज के जरिए एफआईआई की बिक्री इस कैलेंडर वर्ष में 2,09,444 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है, वहीं प्राइमरी मार्केट के लिए एफआईआई की खरीदारी का आंकड़ा 65,747 करोड़ रुपए है।

विश्लेषकों का कहना है कि एआई ट्रेड में कमी और भारतीय इक्विटी के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण के चलते एफआईआई की बिक्री में कमी देखी जा सकती है।

एआई ट्रेड से जुड़े अमेरिकी, चीनी, ताइवान, और दक्षिण कोरियाई बाजारों में एफआईआई का आकर्षण भारत में एफआईआई आउटफ्लो का एक प्रमुख कारण है। लेकिन हाल ही में नैस्डैक में शार्प करेक्शन ने एआई से जुड़े शेयरों को प्रभावित किया है, जिससे एआई शेयरों में बबल चिंताओं को और मजबूती मिली है। इससे भारतीय बाजारों को लाभ हो सकता है।

भविष्य में, भारत में कॉर्पोरेट कमाई के तीसरे तिमाही के नतीजों के साथ रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है, जो कैलेंडर वर्ष 2026 में तेजी को बढ़ा सकती है।

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि निफ्टी के नए उच्च स्तर तक पहुंचने की उम्मीदें और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार सौदा एफआईआई को भारतीय बाजारों में वापस लाने में महत्वपूर्ण होंगे।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम भारतीय बाजारों में एफआईआई की गतिविधियों पर नज़र रखें। पिछले कुछ हफ्तों में बिकवाली के बावजूद, हालिया खरीददारी के संकेत सकारात्मक हैं, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है।
NationPress
25/11/2025

Frequently Asked Questions

एफआईआई की बिकवाली के कारण क्या हैं?
एफआईआई की बिकवाली के कई कारण हो सकते हैं, जैसे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता, एआई से जुड़े बबल चिंताएँ, और भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत।
क्या भारतीय बाजारों में एफआईआई का लौटना संभव है?
यदि निफ्टी नए उच्च स्तर तक पहुंचता है और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार सौदे में प्रगति होती है, तो एफआईआई का भारतीय बाजारों में लौटना संभव है।
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