क्या जापान के शोधकर्ताओं ने स्टेम सेल्स की मदद से रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर का इलाज किया?
सारांश
Key Takeaways
- जापान के शोधकर्ताओं ने स्टेम सेल्स के माध्यम से रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर का इलाज खोजा है।
- ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों के लिए यह एक उम्मीद की किरण है।
- शरीर की चर्बी से निकाले गए स्टेम सेल्स का उपयोग किया गया है।
- यह उपचार सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है।
- हड्डियों की मरम्मत की प्रक्रिया तेजी से होती है।
नई दिल्ली, ५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जापान के ओसाका मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण चिकित्सकीय उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने जानवरों पर किए गए अनुसंधानों में यह पाया कि शरीर की चर्बी से निकाले गए स्टेम सेल्स रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर का सफलतापूर्वक इलाज कर सकते हैं। यह शोध विशेष रूप से उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियां कमजोर और नाजुक हो जाती हैं, जिससे सामान्य गतिविधियों के दौरान हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी में आमतौर पर रीढ़ की हड्डियों में फ्रैक्चर होते हैं, जिन्हें ऑस्टियोपोरोटिक वर्टेब्रल फ्रैक्चर कहा जाता है। इस प्रकार के फ्रैक्चर मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जिसके लिए लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता होती है। ऐसे में कोई नया और सुरक्षित इलाज बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
शोध पत्रिका बोन एंड जॉइंट रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने शरीर की चर्बी से एडीएससी स्टेम सेल्स निकाले। इन स्टेम सेल्स का मुख्य लाभ यह है कि इन्हें आसानी से एकत्र किया जा सकता है और इस प्रक्रिया में शरीर पर अधिक तनाव नहीं पड़ता। यह तरीका काफी सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है। स्टेम सेल्स विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में परिवर्तित हो सकते हैं, जो उन्हें हड्डियों के उपचार में विशेष बनाता है।
टीम ने इन स्टेम सेल्स को 3डी गोल क्लस्टर में विकसित किया, जिन्हें बोन-डिफरेंशिएटेड स्फेरोइड्स कहा गया। इन क्लस्टर्स को बीटा-ट्राईकेल्शियम फास्फेट नामक एक सामान्य हड्डी बनाने वाले पदार्थ के साथ मिलाया गया। इस मिश्रण को चूहों की रीढ़ की हड्डियों में लगाया गया, जहां फ्रैक्चर थे। परिणाम अत्यधिक सकारात्मक रहे। हड्डियों की मरम्मत तेजी से हुई और उनकी ताकत भी बढ़ी। साथ ही, हड्डियों के निर्माण और उन्हें मजबूत करने वाले जीन सक्रिय हुए, जिससे यह साबित होता है कि यह विधि प्राकृतिक और असरदार है।
यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन के छात्र युता सवादा ने कहा, "एडीएससी से बने इन गोल क्लस्टर के माध्यम से रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर के लिए नए और प्रभावी इलाज की संभावनाएं बढ़ती हैं।"
डॉ. शिंजी ताकाहाशी ने कहा, "चर्बी से निकाले गए ये स्टेम सेल्स शरीर में कोई परेशानी नहीं पैदा करते हैं और यह विधि सरल और प्रभावी है। यह कठिन से कठिन फ्रैक्चर को भी जल्दी ठीक कर सकता है और मरीजों के लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है।"
--आईएनएस
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