क्या मुंबई यूनिवर्सिटी और वीईएस ने सिंधी भाषा, विरासत और संस्कृति अध्ययन के लिए समझौता किया?

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क्या मुंबई यूनिवर्सिटी और वीईएस ने सिंधी भाषा, विरासत और संस्कृति अध्ययन के लिए समझौता किया?

सारांश

मुंबई विश्वविद्यालय और विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी ने एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने के लिए समझौता किया है। यह सिंधी भाषा, विरासत और संस्कृति अध्ययन को बढ़ावा देगा। जानिए इस पहल के पीछे की सोच और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • सिंधी भाषा और संस्कृति के संरक्षण का प्रयास।
  • शोध एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों का विस्तार।
  • सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा।

नई दिल्ली, १२ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी (वीईएस) ने शुक्रवार को मुंबई विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करते हुए सिंधी भाषा, विरासत और सांस्कृतिक अध्ययन के लिए एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) की स्थापना का ऐलान किया है।

इस सीओई के अंतर्गत एक विशेष विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी सिंधी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर (एसआरडीसी) भी स्थापित किया जाएगा।

यह पहल सिंधी भाषा, संस्कृति और विरासत को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के साथ-साथ वीईएस और मुंबई विश्वविद्यालय के बीच संस्थागत सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है।

प्रस्तावित सेंटर १२,००० वर्ग फुट क्षेत्र वाले एक नए भवन में स्थापित किया जाएगा और यह भारत सरकार के सिंधी भाषाओं को बढ़ावा देने के व्यापक मिशन के अनुरूप है।

शैक्षणिक कार्यक्रमों, शोध पहल और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से यह सेंटर विरासत भाषा शिक्षा और शोध को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करेगा।

वीईएस सचिव एडवोकेट राजेश गेहानी ने कहा, “यह सिंधियों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और अपनी भाषा तथा साहित्य को संरक्षित करने के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित अवसर है।”

गेहानी के अनुसार, यह केंद्र भाषाई विश्लेषण और अध्ययन, पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, सिंधी टेक्स्ट को अरबी और देवनागरी में डिजिटल प्रारूप में बदलने, सिंधी पुस्तकों को ऑडियोबुक में परिवर्तित करने, ऑडियो-विजुअल शैक्षणिक और शोध सामग्री तैयार करने तथा मौखिक परंपराओं के रिकॉर्डिंग व संरक्षण में सहायक होगा।

उन्होंने कहा, “यह केंद्र सिंधी संस्कृति, परंपराओं और विरासत के दस्तावेज तैयार करने, अभिलेखीय और संरक्षण गतिविधियों, शैक्षणिक सम्मेलनों, सेमिनारों और कार्यशालाओं के आयोजन तथा शैक्षणिक व प्रशिक्षण कार्यक्रमों का समर्थन करेगा। यह मॉडल भारत के अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है, क्योंकि सिंधी समुदाय पूरे देश में मौजूद है।”

मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविंद्र कुलकर्णी ने कहा कि सिंधी भाषा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं परंपरा को वहन करती है, जिसे नई पीढ़ियों तक उचित शैक्षणिक और शोध सहयोग के साथ पहुंचाया जाना आवश्यक है।

उन्होंने कहा, “यह पहल केवल आधारभूत सुविधाओं का विस्तार नहीं है, बल्कि भाषाई विरासत के संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम है।” कुलकर्णी को विश्वास है कि यह विभाग शोध और सांस्कृतिक पहुंच के लिए एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में विकसित होगा।

यह ऐतिहासिक साझेदारी सिंधी भाषा और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को ऊंचा उठाने, संरक्षित करने और आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Point of View

बल्कि यह सांस्कृतिक अध्ययन में भी एक नई दिशा प्रदान करेगा। यह भारत के विविधता में एकता के सिद्धांत को भी मजबूती प्रदान करेगा।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

सिंधी भाषा अध्ययन का महत्व क्या है?
सिंधी भाषा अध्ययन से न केवल सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होगा, बल्कि यह नई पीढ़ियों को अपनी भाषाई पहचान से जोड़ने में भी मदद करेगा।
इस सेंटर का उद्देश्य क्या है?
इस सेंटर का उद्देश्य सिंधी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना और संरक्षित करना है।
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