क्या नेपाल के पूर्व उप पीएम महतो का सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह सही है? (आईएएनएस साक्षात्कार)

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क्या नेपाल के पूर्व उप पीएम महतो का सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह सही है? (आईएएनएस साक्षात्कार)

सारांश

नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेंद्र महतो ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लोकतंत्र पर हमला बताया। उन्होंने इसे तुरंत हटाने की मांग की है। क्या यह सरकार के लिए चेतावनी है? जानें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को तुरंत हटाने की आवश्यकता है।
  • भ्रष्टाचार में सरकार की संलिप्तता का सवाल उठाया गया।
  • नेपाल की युवा पीढ़ी असंतोष व्यक्त कर रही है।
  • भारत-नेपाल संबंधों को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता।
  • लोकतंत्र और लोगों की आजादी पर हमले के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है।

नई दिल्ली, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेंद्र महतो ने सोमवार को देश के जेन जेड युवाओं के नेतृत्व में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लगाए गए प्रतिबंध की कड़ी निंदा की। उन्होंने नेपाल सरकार से मांग की कि सोशल मीडिया पर से तुरंत प्रतिबंध हटाया जाए। महतो ने चेतावनी दी कि यदि प्रतिबंध नहीं हटाया गया, तो अशांति बढ़ सकती है।

महतो ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में कहा, "प्रतिबंध को तुरंत हटाने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए; इसके विकल्प भी होने चाहिए। दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन घायल प्रदर्शनकारियों के साथ मानवीय व्यवहार होना चाहिए। कर्फ्यू लगाने से विरोध प्रदर्शन नहीं रुकेंगे, बल्कि यह और अधिक फैल जाएगा। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।"

यह विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब नेपाल के युवाओं ने कथित सरकारी भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर अचानक लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार किया, जिसे असहमति को दबाने का एक माध्यम माना जा रहा था।

महतो ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टियों की 'भारत-विरोधी राष्ट्रवाद' को बढ़ावा देने के लिए आलोचना की, जो उनके अनुसार नेपाल और उसके लोगों के लिए हानिकारक है।

उन्होंने कहा, "कम्युनिस्ट पार्टियों ने नेपाल में भारत-विरोधी भावना पैदा की है, जो हमारे देश और उसके नागरिकों के हितों के लिए हानिकारक है।"

महतो ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध की निंदा करते हुए इसे 'लोकतंत्र और लोगों की आजादी पर हमला' बताया।

उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने से देश भर में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं। यह सरकार की नाकामियों को छिपाने और जनमत को दबाने की एक गंभीर कोशिश है। नेपाल के लोगों ने अपनी चिंताओं को व्यक्त करने का माध्यम खो दिया है।"

महतो ने चेतावनी दी, "नेपाली नागरिक इसे किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। पूरा देश इस कदम के खिलाफ विरोध कर रहा है क्योंकि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। हमारे युवा, विशेष रूप से, सरकार के कार्यों की निंदा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने इसे बर्दाश्त नहीं किया और प्रतिबंध लगा दिया।"

महतो ने इस प्रतिबंध को भ्रष्टाचार के घोटालों में सरकार की कथित संलिप्तता से भी जोड़ा।

महतो ने आगे कहा, "भ्रष्टाचार के जो भी बड़े मामले सामने आए हैं, उनमें सत्तारूढ़ दल की संलिप्तता रही है। अपनी गलतियों को छिपाने के लिए, उन्होंने सोशल मीडिया को दबाने का सहारा लिया है। अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए संविधान से छेड़छाड़ की जा रही है।"

नेपाल के विदेशी संबंधों का जिक्र करते हुए, महतो ने वर्तमान सरकार के तहत भारत के साथ बिगड़ते संबंधों पर दुख जताया।

उन्होंने कहा, "भारत और नेपाल के बीच संबंधों को कमजोर करने की एक साजिश चल रही है, जिससे न तो नेपाल को और न ही उसके लोगों को कोई फायदा है। भारत के साथ हमारे गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध हैं, जिनकी बराबरी कोई अन्य देश नहीं कर सकता। दुर्भाग्य से, सरकार ने इस रिश्ते को गलत तरीके से पेश किया है। मैं लंबे समय से संबंधों को मजबूत करने और इस अनूठी साझेदारी का लाभ उठाने की वकालत करता रहा हूं, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टियों ने इसके खिलाफ काम किया है।"

महतो ने भारत-नेपाल संबंधों को मजबूत बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "हमारे दोनों देशों के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं। जो कोई भी इस रिश्ते को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, उसे पतन का सामना करना पड़ेगा।"

महतो ने अंतर्राष्ट्रीय धारणाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए अपनी बात समाप्त की। उन्होंने कहा, "नेपाल ने बलिदानों के जरिए आजादी हासिल की, फिर भी दुनिया अब इन विरोध प्रदर्शनों की आलोचना कर रही है और इन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बता रही है। इससे नेपाल की छवि वैश्विक स्तर पर खराब हो रही है।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री का यह बयान सरकार के लिए एक चेतावनी है। जब युवा पीढ़ी असंतोष व्यक्त कर रही है, तब सरकार को उनकी आवाज सुननी चाहिए। असहमति को दबाने के बजाय, संवाद और सहिष्णुता को बढ़ावा देना चाहिए।
NationPress
08/09/2025

Frequently Asked Questions

महतो ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बारे में क्या कहा?
महतो ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया और तुरंत हटाने की मांग की।
क्या यह प्रतिबंध बढ़ती अशांति का कारण बन सकता है?
महतो ने चेतावनी दी कि यदि प्रतिबंध नहीं हटाया गया, तो अशांति बढ़ सकती है।
महतो ने भ्रष्टाचार के बारे में क्या कहा?
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार में संलिप्त है और अपनी गलतियों को छिपाने के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा रही है।
भारत-नेपाल संबंधों पर महतो का क्या दृष्टिकोण है?
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार भारत के साथ संबंधों को कमजोर कर रही है, जो नेपाल के लिए हानिकारक है।
क्या नेपाल की युवा पीढ़ी इस प्रतिबंध के खिलाफ खड़ी होगी?
महतो ने युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया पर अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया है।