क्या एनआईटी राउरकेला का अध्ययन अस्थि पुनर्जनन तकनीक को बढ़ावा देगा?

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क्या एनआईटी राउरकेला का अध्ययन अस्थि पुनर्जनन तकनीक को बढ़ावा देगा?

सारांश

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) राउरकेला के शोध ने साबित किया है कि मानव शरीर में प्राकृतिक शर्करा के अणु हड्डियों के निर्माण और मरम्मत में प्रोटीन के कार्यों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं, जिससे उन्नत चिकित्सा के नए द्वार खुल सकते हैं।

Key Takeaways

  • शोधकर्ताओं ने मानव शरीर में प्राकृतिक शर्करा के अणुओं की भूमिका का अध्ययन किया।
  • बीएमपी-2 प्रोटीन हड्डियों के निर्माण में महत्वपूर्ण है।
  • ग्लाइकोसामिनोग्लाइकेन्स के साथ बीएमपी-2 का परस्पर क्रिया महत्वपूर्ण है।
  • शोध के परिणामों का उपयोग चिकित्सा में सुधार के लिए किया जा सकता है।
  • उन्नत दवा वितरण प्रणाली विकसित करने की संभावनाएं।

नई दिल्ली, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) राउरकेला के शोधकर्ताओं ने यह खोजा है कि मानव शरीर में पाए जाने वाले प्राकृतिक शर्करा जैसे अणु हड्डियों के निर्माण और मरम्मत में सहायक प्रोटीन के कार्यों में बदलाव ला सकते हैं।

यह अध्ययन बायोकेमिस्ट्री पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसके परिणामों का उपयोग हड्डियों और कार्टिलेज के पुनर्जनन के उन्नत उपचार, बेहतर प्रत्यारोपण और प्रभावी प्रोटीन-आधारित दवाओं के विकास में किया जा सकता है।

प्रोटीन मानव शरीर में कई कार्य करते हैं, जैसे ऊतकों का निर्माण और रासायनिक प्रतिक्रियाओं को सहयोग देना। इसके अलावा, ये कोशिकाओं के बीच संकेत के रूप में कार्य करते हैं।

हालांकि, इनकी सर्वोत्तम उत्पादकता के लिए उन्हें सटीक त्रि-आयामी आकृतियों में मोड़ा या खोला जाना आवश्यक है। प्रोटीन के खुलने और मोड़ने की प्रक्रिया को समझना जीव विज्ञान का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है, जो चिकित्सा, जैव प्रौद्योगिकी और दवा वितरण पर प्रभाव डालता है।

इस संदर्भ में एनआईटी की टीम ने कहा कि बोन मॉर्फोजेनेटिक प्रोटीन-2 (बीएमपी-2) हड्डियों और कार्टिलेज के निर्माण, चोटों के उपचार और स्टेम कोशिकाओं को अस्थि-निर्माण कोशिकाओं में परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह प्रोटीन मानव शरीर में विभिन्न ग्लाइकोसामिनोग्लाइकेन्स के साथ परस्पर क्रिया करता है, जो संयोजी ऊतकों और जोड़ों में विशेष शर्करा जैसे अणु होते हैं।

टीम ने यह अध्ययन किया कि ये विभिन्न ग्लाइकोसामिनोग्लाइकेन्स और बीएमपी-2 यूरिया-प्रेरित रासायनिक विकृतीकरण के संपर्क में आने पर कैसे प्रभावित होते हैं।

टीम ने देखा कि बीएमपी-2 सामान्य हयालूरोनिक एसिड या बिना किसी योजक के मुकाबले सल्फेटेड हयालूरोनिक एसिड (एसएचए) की उपस्थिति में तेजी से फैलता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि एसएचए सीधे बीएमपी-2 प्रोटीन से जुड़ता है, इसकी संरचना को धीरे-धीरे बदलता है और इसे अधिक नियंत्रित तरीके से फैलाता है।

प्रो. हरेकृष्ण साहू ने कहा, “बीएमपी-2 मनुष्यों में एक महत्वपूर्ण प्रोटीन है जो अस्थि ऊतक के ग्लाइकोसामिनोग्लाइकन-समृद्ध बाह्य कोशिकीय मैट्रिक्स वातावरण में स्थित होकर अस्थिजनन और अस्थि पुनर्जनन में एक मौलिक भूमिका निभाता है। हमारा अध्ययन बताता है कि विशिष्ट जीएजी-बीएमपी-2 अंतःक्रियाएं प्रकटन गतिशीलता और संरचनात्मक स्थिरता को कैसे प्रभावित करती हैं।”

यह शोध अस्थि भंग, रीढ़ की हड्डी की चोटों और अपक्षयी अस्थि रोगों के उपचार के लिए बेहतर जैव पदार्थ और दवा वितरण प्रणाली विकसित करने में मदद कर सकता है। यह उपचार के दौरान दवा वितरण को अनुकूलित करने और रोगियों के लिए दुष्प्रभावों को कम करने में भी सहायक हो सकता है।

–राष्ट्र प्रेस

जेपी/जीकेटी

Point of View

बल्कि यह अस्थि पुनर्जनन के क्षेत्र में भी नई संभावनाएं खोलता है। एनआईटी राउरकेला के शोधकर्ताओं की यह खोज एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे वैज्ञानिक अनुसंधान मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

एनआईटी राउरकेला के शोध का मुख्य उद्देश्य क्या है?
शोध का मुख्य उद्देश्य मानव शरीर में प्राकृतिक शर्करा के अणुओं की भूमिका को समझना है, जो हड्डियों के निर्माण और मरम्मत में मदद करते हैं।
बीएमपी-2 का क्या महत्व है?
बीएमपी-2 हड्डियों और कार्टिलेज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और चोटों के उपचार में मदद करता है।
इस शोध के परिणामों का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
इसके परिणामों का उपयोग हड्डियों के पुनर्जनन के उन्नत उपचार, बेहतर प्रत्यारोपण और प्रभावी दवाओं के विकास में किया जा सकता है।