क्या एनएसयूटी विश्वविद्यालय भारतीय सेना को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित समाधान प्रदान करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय सेना और एनएसयूटी के बीच सहयोग
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित समाधान
- स्वदेशी तकनीक का प्रोत्साहन
- छात्रों को वास्तविक तकनीकी चुनौतियों का सामना
- रक्षा क्षेत्र में नवाचार के अवसर
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना और दिल्ली स्थित नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य सेना के लिए सॉफ्टवेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित समाधान तैयार करना है।
इससे देश की रक्षा तैयारियों को स्वदेशी तकनीक के माध्यम से और सशक्त बनाया जाएगा। इस परियोजना के तहत, विश्वविद्यालय के छात्र और फैकल्टी सेना की तकनीकी समस्याओं के वास्तविक समय में समाधान विकसित करने में भाग लेंगे। सेना के विभिन्न तकनीकी समाधानों में छात्रों और फैकल्टी की सीधी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
इस सहयोग के माध्यम से, छात्रों और शिक्षकों को अत्याधुनिक तकनीकी चुनौतियों पर काम करने का अनुभव मिलेगा। विश्वविद्यालय की टीमें भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुरूप समाधान विकसित करेंगी, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सॉफ्टवेयर टूल्स, डेटा एनालिटिक्स और अन्य तकनीकी परियोजनाएं शामिल होंगी। इस प्रक्रिया में, विश्वविद्यालय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम और विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा।
इस पहल से स्वदेशी रक्षा नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा और यह साझेदारी 'आत्मनिर्भर भारत' के अंतर्गत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक, नवाचार और अनुसंधान को नई दिशा देगी। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह सहयोग भारतीय सेना की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे युवाओं को रक्षा क्षेत्र की वास्तविक आवश्यकताओं को समझने और नवाचार में योगदान का अवसर मिलेगा।
गौरतलब है कि हाल ही में, भारतीय थलसेना के प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने एक महत्वपूर्ण कॉन्क्लेव में सहभागिता की थी, जो कि भारत के लिए उभरती वैश्विक गतिशीलताओं को रणनीतिक अवसरों में बदलने पर केंद्रित था। जनरल द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय विमर्श और रणनीतिक सोच को आकार देने में अकादमिक संस्थानों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
इस दौरान, सेना प्रमुख ने संकाय सदस्यों से अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने इसे भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्यों के अनुरूप रखने पर बल दिया। इस अवसर पर जनरल ने शिक्षकों व छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि सुदृढ़ और तथ्य-आधारित शोध ही नीति-निर्माण को मजबूती प्रदान करता है।