क्या रीढ़ की हड्डी की चोट के इलाज में नई उम्मीद है: शोधकर्ताओं ने विकसित किया इम्प्लांटेबल डिवाइस?

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क्या रीढ़ की हड्डी की चोट के इलाज में नई उम्मीद है: शोधकर्ताओं ने विकसित किया इम्प्लांटेबल डिवाइस?

सारांश

ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विकसित किया है, जो रीढ़ की हड्डी में चोट के बाद चलने-फिरने की क्षमता को पुनर्स्थापित करने में मदद करता है। यह शोध जानवरों पर किया गया है और मानव उपचार की नई संभावनाएं खोली हैं। जानें इस अद्भुत खोज के बारे में।

Key Takeaways

  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रीढ़ की हड्डी में चोट के इलाज में मदद कर सकता है।
  • यह उपकरण विद्युत प्रवाह के माध्यम से घाव भरने में सहायक है।
  • चूहों पर किए गए शोध में सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
  • इससे रीढ़ की हड्डी में कोई सूजन या नुकसान नहीं होता।
  • भविष्य में यह एक मेडिकल डिवाइस के रूप में विकसित हो सकता है।

नई दिल्ली, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विकसित किया है, जिसे शरीर में इम्प्लांट किया जा सकता है, जिससे रीढ़ की हड्डी में चोट के बाद चलने-फिरने की क्षमता को फिर से प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह शोध जानवरों पर किया गया है और इससे इंसानों और उनके पालतू जानवरों के लिए भी इलाज की नई उम्मीद जगी है।

रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर इसका इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है, जिससे यह व्यक्ति के जीवन पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डालता है। लेकिन न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी में एक परीक्षण एक प्रभावी उपचार की उम्मीद जगाता है।

ऑकलैंड विश्वविद्यालय के फार्मेसी स्कूल के वरिष्ठ अनुसंधान फेलो, प्रमुख शोधकर्ता डॉ. ब्रूस हारलैंड ने कहा, “जैसे त्वचा पर कट लगने पर घाव अपने आप भर जाता है, वैसे ही रीढ़ की हड्डी खुद को ठीक नहीं कर पाती। इसी वजह से इसकी चोट बेहद गंभीर और लाइलाज होती है।”

डॉ. हारलैंड ने नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, उनकी टीम ने एक बहुत पतला उपकरण बनाया है, जिसे सीधे रीढ़ की हड्डी पर लगाया जाता है, खासकर वहां जहां चोट लगी हो। यह उपकरण वहां विद्युत का हल्का और नियंत्रित प्रवाह भेजता है, जिससे घाव भरने में मदद मिलती है।

यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फार्मेसी में कैटवॉक क्योर प्रोग्राम के निदेशक प्रोफेसर डैरेन स्विरस्किस ने कहा कि इसका मकसद यह है कि रीढ़ की चोट से जो कामकाज रुक जाते हैं, उन्हें फिर से शुरू किया जा सके।

चूहों में इंसानों की तुलना में अपने आप ठीक होने की क्षमता थोड़ी अधिक होती है, इसलिए वैज्ञानिकों ने चूहों पर इस तकनीक का परीक्षण किया और देखा कि प्राकृतिक रूप से भरने की तुलना में विद्युत स्टिमुलेशन से कितना फर्क पड़ता है।

चार हफ्तों बाद, जिन चूहों को हर दिन यह विद्युत स्टिमुलेशन वाला इलाज दिया गया, उनमें चलने-फिरने की क्षमता उन चूहों की तुलना में बेहतर थी, जिन्हें यह इलाज नहीं दिया गया। 12 हफ्तों की पूरी स्टडी में देखा गया कि ये चूहे हल्के स्पर्श पर भी जल्दी प्रतिक्रिया देने लगे।

डॉ. हारलैंड ने कहा, “इसका मतलब है कि इलाज ने चलने-फिरने और महसूस करने दोनों में सुधार किया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस इलाज से रीढ़ की हड्डी में कोई सूजन या नुकसान नहीं हुआ, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह सुरक्षित भी है।”

चाल्मर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर मारिया एस्पलंड ने कहा कि भविष्य में इस तकनीक को ऐसा मेडिकल डिवाइस बनाने की योजना है, जिससे रीढ़ की गंभीर चोटों वाले लोगों को लाभ मिल सके। आगे वैज्ञानिक यह पता करने पर काम करेंगे कि इलाज की ताकत, उसकी बारंबारता और अवधि में कितना बदलाव किया जाए ताकि सबसे सर्वश्रेष्ठ परिणाम मिल सके।

Point of View

तो यह लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

रीढ़ की हड्डी की चोट का इलाज कैसे होता है?
अभी तक रीढ़ की हड्डी की चोट का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन नए शोध में एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का विकास किया गया है जो मदद कर सकता है।
इस उपकरण का उपयोग कैसे किया जाएगा?
यह उपकरण शरीर में इम्प्लांट किया जाएगा और यह विद्युत प्रवाह के माध्यम से घाव भरने में सहायता करेगा।
क्या यह उपचार सुरक्षित है?
शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस उपचार से रीढ़ की हड्डी में कोई सूजन या नुकसान नहीं होता, जिससे यह सुरक्षित माना गया है।
क्या यह तकनीक मानवों पर लागू होगी?
यह तकनीक मानवों पर लागू होने की संभावनाएं देखी जा रही हैं, लेकिन अभी और शोध की आवश्यकता है।
इस शोध का भविष्य क्या है?
भविष्य में इस तकनीक को एक मेडिकल डिवाइस के रूप में विकसित किया जा सकता है, जिससे गंभीर रीढ़ की चोटों वाले लोगों को लाभ मिल सके।