क्या 1 अक्टूबर को जन्में दिग्गजों ने खेलों में नई ऊंचाइयां छुईं?

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क्या 1 अक्टूबर को जन्में दिग्गजों ने खेलों में नई ऊंचाइयां छुईं?

सारांश

1 अक्टूबर को जन्मे दो दिग्गज खिलाड़ियों ने खेलों में नई ऊंचाइयां छुईं। जानिए उनके अद्भुत सफर के बारे में।

Key Takeaways

  • गुरदीप सिंह की मेहनत और समर्पण ने उन्हें देश के लिए सिल्वर मेडल दिलाया।
  • माइकल फरेरा की तकनीक ने उन्हें बिलियर्ड्स में एक प्रमुख चेहरा बनाया।
  • इन दोनों खिलाड़ियों की कहानी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
  • गुरदीप ने कॉमनवेल्थ गेम्स में उत्कृष्टता दिखाई।
  • माइकल तीन बार विश्व चैंपियन बने हैं।

नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय खेल क्षेत्र में 1 अक्टूबर एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन दो प्रसिद्ध खिलाड़ियों का जन्म हुआ, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाया।

गुरदीप सिंह: 1 अक्टूबर 1995 को लुधियाना में जन्मे गुरदीप सिंह ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स के वेटलिफ्टिंग इवेंट में पुरुषों के 109+ किग्रा भार वर्ग के फाइनल में 390 किग्रा का वजन उठाकर सिल्वर मेडल जीता था। उन्होंने स्नैच में 167 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 223 किलोग्राम वजन उठाया था।

उस समय गुरदीप की उम्र 26 वर्ष थी। अपने पहले प्रयास में गुरदीप 167 किलोग्राम वजन उठाने में असफल रहे। दूसरे प्रयास में उन्होंने इसी वजन को उठाने में सफलता हासिल की, लेकिन तीसरे प्रयास में 173 किलोग्राम वजन उठाने में नाकाम रहे।

क्लीन एंड जर्क के पहले प्रयास में उन्होंने 207 किलोग्राम वजन उठाने में सफलता पाई, लेकिन दूसरे प्रयास में 215 किलोग्राम उठाने में असफल रहे। तीसरे प्रयास में उन्होंने 223 किलोग्राम वजन उठाने में सफलता प्राप्त की।

इस इवेंट में पाकिस्तान के मोहम्मद नूह दस्तगीर बट ने 405 किलोग्राम वजन उठाकर गोल्ड जीता, जबकि न्यूजीलैंड के डेविड एड्रयू लिटी ने 394 किलोग्राम उठाकर सिल्वर मेडल हासिल किया।

गुरदीप ने 2010 में पंजाब स्टेट ग्रामीण खेलों में गोल्ड जीता था और 2011 में जूनियर स्टेट चैंपियनशिप में सिल्वर अपने नाम किया।

साल 2016 में एशियन चैंपियनशिप में भाग लेने वाले गुरदीप ने उसी वर्ष दक्षिण एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में दो बार ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं।

गुरदीप की मेहनत, समर्पण और शक्ति ने उन्हें युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। वह भारतीय भारोत्तोलन में एक सम्मानित नाम हैं।

माइकल फरेरा: 'बॉम्बे टाइगर' के नाम से मशहूर माइकल फरेरा भारत के महान बिलियर्ड्स खिलाड़ी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में अपनी पहचान बनाई। माइकल फरेरा की तकनीक, धैर्य और खेल के प्रति समर्पण ने उन्हें भारत में बिलियर्ड्स का प्रमुख चेहरा बना दिया है।

तीन बार के एमेच्योर वर्ल्ड चैंपियन माइकल फरेरा ने 1960 में नेशनल बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में भाग लिया। 1964 में वर्ल्ड एमेच्योर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए माइकल सेमीफाइनल तक पहुंचे।

1977 में माइकल फरेरा ने अपना पहला वर्ल्ड एमेच्योर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप खिताब जीता। उसी वर्ष उन्होंने वर्ल्ड ओपन बिलियर्ड्स चैंपियनशिप का खिताब भी अपने नाम किया। 1978 में वह 1,000 अंकों की बाधा पार करने वाले पहले एमेच्योर खिलाड़ी बने। माइकल फरेरा ने तीन बार विश्व एमेच्योर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप पर कब्जा किया है।

Point of View

हमें गर्व है कि भारत ने ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को जन्म दिया है जो न केवल अपनी मेहनत से बल्कि अपने समर्पण से भी देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यह उनकी उपलब्धियां हमें प्रेरित करती हैं कि हम भी अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करें।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

गुरदीप सिंह ने कब और कहाँ जन्म लिया?
गुरदीप सिंह का जन्म 1 अक्टूबर 1995 को लुधियाना में हुआ।
माइकल फरेरा को 'बॉम्बे टाइगर' क्यों कहा जाता है?
माइकल फरेरा को उनकी उत्कृष्टता के कारण 'बॉम्बे टाइगर' कहा जाता है।
गुरदीप सिंह ने कौन सा मेडल जीता था?
गुरदीप सिंह ने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता।
माइकल फरेरा कितनी बार विश्व चैंपियन बने?
माइकल फरेरा ने तीन बार विश्व एमेच्योर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप जीती है।
गुरदीप सिंह की उम्र क्या थी जब उन्होंने सिल्वर मेडल जीता?
जब गुरदीप ने सिल्वर मेडल जीता, तब उनकी उम्र 26 वर्ष थी।