क्या दत्ताजी राव गायकवाड़ ने बड़ौदा को पहली बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनाया?
सारांश
Key Takeaways
- दत्ताजी राव गायकवाड़ भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक थे।
- उन्होंने 1957-58 में बड़ौदा को रणजी ट्रॉफी का पहला खिताब दिलाया।
- उनका क्रिकेट करियर 11 टेस्ट मैचों तक फैला था।
- उन्होंने खेल प्रशासन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उनके पुत्र अंशुमान गायकवाड़ ने उनकी क्रिकेट विरासत को आगे बढ़ाया।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दत्ताजी राव गायकवाड़ का नाम भारत के उन क्रिकेटरों में शामिल है जिन्होंने अपने अद्वितीय खेल कौशल से देश में क्रिकेट की मजबूत आधारशिला रखी। दत्ताजी राव बड़ौदा क्रिकेट के प्रतीक माने जाते थे।
दत्ताजी राव गायकवाड़ का जन्म 27 अक्टूबर 1928 को बड़ौदा, गुजरात में हुआ। घरेलू क्रिकेट में बड़ौदा के लिए खेलने वाले दत्ताजी राव ने 1952 में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच खेला। उन्होंने भारतीय टीम के लिए 11 टेस्ट मैच खेले और एक अर्धशतक के सहारे 350 रन बनाएं। उनका सर्वोत्तम स्कोर 52 रन था। वे एक मध्यम गति के गेंदबाज भी थे और उन्होंने भारत के लिए 6 विकेट प्राप्त किए। दत्ताजी राव ने 1959 में इंग्लैंड दौरे पर पांच टेस्ट मैचों में से चार में भारतीय टीम की कप्तानी की, हालांकि इस दौरे में टीम को सभी मैचों में हार का सामना करना पड़ा।
घरेलू क्रिकेट में दत्ताजी राव के आंकड़े अत्यंत प्रभावशाली रहे हैं। रणजी ट्रॉफी में बड़ौदा के लिए खेलते हुए उन्होंने कई बार अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी से मैच का परिणाम बदल दिया। उनकी उपस्थिति में बड़ौदा ने 1957-58 में रणजी ट्रॉफी का पहला खिताब जीता था। फाइनल में दत्ताजी राव ने सेना के खिलाफ शतकीय पारी खेलकर टीम को चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
क्रिकेट करियर के अलावा, दत्ताजी राव ने क्रिकेट प्रशासन में भी योगदान दिया। उन्होंने बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन के माध्यम से स्थानीय स्तर पर खेल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से बड़ौदा में क्रिकेट की नींव और मजबूत हुई। दत्ताजी राव का निधन 13 फरवरी 1924 को हुआ।
दत्ताजी राव गायकवाड़ के पुत्र अंशुमान गायकवाड़ ने उनके क्रिकेट विरासत को आगे बढ़ाया। अंशुमान ने भारत के लिए 40 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले।