क्या हनुमा विहारी की सफलता में मां का योगदान सबसे बड़ा है?

सारांश
Key Takeaways
- हनुमा विहारी ने भारतीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- उनकी मां का बलिदान उनकी सफलता में महत्वपूर्ण रहा है।
- धैर्य और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
- बच्चों का समर्थन करना परिवार का कर्तव्य है।
- क्रिकेट में तकनीकी और मानसिक ताकत का महत्व है।
नई दिल्ली, १२ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। एक भरोसेमंद बल्लेबाज के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले हनुमा विहारी ने टेस्ट फॉर्मेट में भारत के लिए कई महत्वपूर्ण पारियां खेली हैं। इस क्रिकेटर को धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी और कठिन परिस्थितियों में टिके रहने की क्षमता के लिए जाना जाता है, जिन्होंने भारत को अंडर-१९ विश्व कप खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई।
१३ अक्टूबर १९९३ को आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में जन्मे हनुमा विहारी ने साल २०१० में फर्स्ट क्लास में डेब्यू किया था। शानदार प्रदर्शन के बाद भी उन्हें भारतीय टीम में जगह बनाने में करीब आठ साल का समय लगा। उस समय हनुमा २४ साल के थे।
इस बीच, हनुमा विहारी को अंडर-१९ विश्व कप २०१२ की टीम में मौका मिला। इस खिताब को भारत ने अपने नाम किया। हनुमा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल मैच की प्लेइंग इलेवन का हिस्सा थे।
हनुमा विहारी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में लंबे समय तक संघर्ष किया। उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और धैर्य रखते हुए सीनियर टीम में मौका मिलने का इंतजार किया।
हनुमा विहारी की सफलता में उनकी मां विजयलक्ष्मी का अहम योगदान रहा है। हनुमा के पिता अपनी नौकरी के चलते बहुत व्यस्त रहते थे। ऐसे में हनुमा की देखभाल से लेकर उन्हें क्रिकेट अकादमी ले जाने तक का जिम्मा उनकी मां पर था।
एक इंटरव्यू में, हनुमा विहारी ने मां के बलिदान को याद करते हुए कहा, "सिर्फ मैं ही जानता हूं कि अम्मा ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कितना त्याग किया है।"
जब हनुमा को भारतीय टीम में चयन की खबर मिली, तो उन्होंने मां को फोन पर यह खुशखबरी दी थी। इसके बाद मां ने बेटे को सिर्फ तीन शब्द कहे- "ऑल द बेस्ट"
हनुमा विहारी ने साल २०१३ में आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से डेब्यू किया। वह आईपीएल में क्रिस गेल जैसे दिग्गज को आउट करके अपनी पार्ट-टाइम ऑफब्रेक गेंदबाजी का शानदार नमूना दिखा चुके हैं।
मजबूत तकनीक और मानसिक दृढ़ता के चलते विहारी, सनराइजर्स हैदराबाद के तत्कालीन साथी डेल स्टेन को भी प्रभावित कर चुके हैं, जिन्होंने बल्लेबाज के रूप में विहारी की क्षमता की प्रशंसा की थी।
भारत की ओर से १६ टेस्ट मुकाबलों में, हनुमा विहारी ने ३३.५६ की औसत से ८३९ रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने एक शतक और ५ अर्धशतक लगाए हैं।
हनुमा ने १३१ फर्स्ट क्लास मुकाबलों में ४९.९२ की औसत से ९,५८५ रन बनाए। इस दौरान उन्होंने २४ शतक और ५१ अर्धशतक लगाए हैं। वहीं, ९७ लिस्ट-ए मुकाबलों में उन्होंने ५ शतक और २४ अर्धशतक के साथ ३,५०६ रन जोड़े हैं। हनुमा ने अपने आईपीएल करियर में २४ मैच खेले, जिसमें २८४ रन जुटाए।