क्या झारखंड के सारंडा जंगल में नक्सलियों के आईईडी विस्फोट से घायल हथिनी ने तोड़ा दम?

सारांश
Key Takeaways
- सारंडा जंगल में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आईईडी की गंभीरता।
- घायल हथिनी के इलाज में देरी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
- स्थानीय निवासियों का कहना है कि नियमित गश्त से इस स्थिति को रोका जा सकता था।
चाईबासा, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में नक्सलियों के आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) विस्फोट में गंभीर रूप से घायल एक हथिनी ने अपनी जान खो दी। सूचना मिलने पर रविवार को वन विभाग की टीम ने जंगल में ही उसका पोस्टमार्टम किया।
नक्सलियों ने सुरक्षा बलों और पुलिस को नुकसान पहुँचाने के इरादे से सारंडा के घने जंगलों में जमीन के नीचे कदम-कदम पर आईईडी बिछा रखे हैं। इस वर्ष, इस प्रकार के विस्फोटों की चपेट में आकर तीन हाथियों की मौत हो चुकी है। जिस हथिनी की मौत हुई, उसके बारे में वन विभाग को एक हफ्ते पहले सूचना मिली थी, और उसका दायां पैर बुरी तरह जख्मी था।
मौके पर पहुंची वन्यजीव चिकित्सकों की टीम ने उसे एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाएं दी थीं, लेकिन संक्रमण बढ़ता गया। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उपचार में देरी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। उनका कहना है कि विभाग को सूचना मिलने में काफी समय लगा और जब तक टीम मौके पर पहुंची, हथिनी का जख्म बुरी तरह फैल चुका था।
इलाके के निवासियों का कहना है कि अगर विभाग की टीम जंगल में नियमित गश्त करती, तो घायल हथिनी को समय पर उपचार मिल सकता था। इससे पहले, 5 जुलाई को इसी क्षेत्र में एक छह वर्षीय हाथी ने विस्फोट में घायल होने के बाद दम तोड़ दिया था। स्थानीय लोग उस हाथी को प्यार से 'गडरू' नाम से पुकारते थे। वह 24 जून को विस्फोट में घायल हुआ था और कई दिनों तक दर्द में ग्रस्त रहा। वन विभाग ने तब गुजरात की संस्था 'वनतारा' की मेडिकल रेस्क्यू टीम की मदद ली थी, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद वह हाथी नहीं बच पाया था।