क्या 15 अगस्त को जन्मे तीन भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन किया?

सारांश
Key Takeaways
- विजय भारद्वाज: 10 वनडे में 136 रन और 16 विकेट।
- गुरुराजा पुजारी: 61 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य पदक।
- केएम बेनीमोल: ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुँचने वाली तीसरी भारतीय महिला।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। 15 अगस्त भारतीय खेल जगत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन तीन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का जन्म हुआ, जिन्होंने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। आइए, इनके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
विजय भारद्वाज: कर्नाटक में 1975 में जन्मे विजय ने घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद टीम इंडिया में जगह बनाई। सितंबर 1999 में उन्हें वनडे टीम में शामिल किया गया, और अक्टूबर में टेस्ट टीम में भी स्थान मिला।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विजय भारद्वाज ने अपना पहला मैच खेलते हुए सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 10 ओवर में मात्र 16 रन देकर एक विकेट लिया, और फिर बल्ले से नाबाद 18 रन बनाए।
हालांकि, वह टीम में लंबे समय तक नहीं टिक सके। उन्होंने 10 वनडे में 136 रन और 16 विकेट हासिल किए, जबकि तीन टेस्ट मैचों में 28 रन और एक विकेट लिया।
गुरुराजा पुजारी: भारत के इस वेटलिफ्टर का जन्म 1992 में कर्नाटक के उडुपी में हुआ। उनके पिता, महाबाला पुजारी, पिक-अप ट्रक चलाते थे, लेकिन आर्थिक मुश्किलों के बावजूद उन्होंने अपने बेटे के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी।
गुरुराजा ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में सुशील कुमार को कुश्ती करते देखा और खुद एक पहलवान बनने का इरादा किया। 12वीं कक्षा में उनके शिक्षक ने उन्हें इस खेल को आगे बढ़ाने में मदद की। लेकिन कॉलेज में स्पोर्ट्स कोच ने उन्हें कुश्ती के बजाय वेटलिफ्टिंग अपनाने की सलाह दी, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी।
गुरुराजा ने पढ़ाई के साथ वेटलिफ्टिंग जारी रखी और पुरस्कारों से मिली राशि को अपनी डाइट में लगाया। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 61 किलोग्राम श्रेणी में कांस्य पदक जीता।
केएम बेनीमोल: 1975 में केरल में जन्मी कल्याथुसुखी मैथ्यूज बेनीमोल भारत की प्रमुख एथलीट में से एक हैं, जो ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुँचने वाली तीसरी भारतीय महिला रेसर हैं। उनसे पहले पीटी उषा और शाइनी विल्सन ने यह उपलब्धि हासिल की थी।
बेनीमोल ने एशियन गेम्स-2022 में दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीते। उन्हें 2000 में 'अर्जुन अवार्ड' और 2004 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया।