क्या मजबूरी में खाई लोगों की 'जूठन', तानों का सामना कर आज विश्व विजेता कप्तान हैं दीपिका गांवकर?
सारांश
दीपिका गांवकर ने आर्थिक चुनौतियों के बीच विमेंस ब्लाइंड टी20 वर्ल्ड कप जीतकर भारत का नाम रोशन किया। उनकी प्रेरणादायक कहानी और संघर्ष ने उन्हें आज की स्थिति तक पहुँचाया। जानिए उनकी जीवन यात्रा और सफलता की कहानी।
Key Takeaways
- दीपिका गांवकर की प्रेरणादायक कहानी
- आर्थिक संकट के बावजूद सफलता
- विश्व कप जीतने का गर्व
- समाज के तानों का सामना
- परिवार के लिए समर्पण
मुंबई, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने हाल ही में दीपिका गांवकर की कप्तानी में विमेंस ब्लाइंड टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता है। आंध्र प्रदेश की दीपिका ने आर्थिक संकट से जूझते हुए देश का नाम रोशन किया है। उनकी कहानी अत्यंत प्रेरणादायक है।
विमेंस ब्लाइंड टी20 वर्ल्ड कप विजेता टीम ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की, जिसमें दीपिका गांवकर ने अपनी कहानी साझा की।
दीपिका गांवकर ने भावुक होते हुए कहा, "मैंने कई ऐसे दिन देखे हैं, जब एक वक्त का खाना मिलना भी मुश्किल होता था। कई बार मैंने और मेरे भाई ने लोगों का जूठन खाया है। हम आर्थिक संकट से जूझते रहे हैं। जब हमारे माता-पिता काम करके आते, तो दिहाड़ी में मिले पैसे से हम भोजन का इंतजाम करते थे। समाज ने मेरे परिवार को लेकर बहुत से ताने मारे।"
उन्होंने आगे कहा, "आज मुझे अच्छे कपड़े और खाना मिलता है, लेकिन सोचती हूं कि क्या मेरे माता-पिता ने खाना खाया होगा? जो मैच फीस मुझे मिलती है, उसे मैं अपने परिवार को देती हूं, जिससे वे राशन खरीद पाते हैं।"
दीपिका ने बताया कि उनके पिता एक किसान हैं, लेकिन खेती करना मुश्किल है। "हमारे पास केवल 2 एकड़ जमीन है, लेकिन वहां पानी की समस्या है।"
दीपिका ने 2019 में क्रिकेट खेलना शुरू किया और कर्नाटक की टीम का प्रतिनिधित्व किया। 2023 में बर्मिंघम में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने कहा, "हमने परिस्थितियों से लड़कर विश्व कप खिताब जीता है। मेरे माता-पिता आज मुझ पर गर्व महसूस करते हैं।"
दीपिका की कप्तानी में 23 नवंबर को टीम इंडिया ने फाइनल में नेपाल को 7 विकेट से हराकर विश्व कप जीता था।