क्या मीराबाई चानू भारत के भारोत्तोलन में एक नया आयाम स्थापित कर रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- मीराबाई चानू ने ओलंपिक में भारत को पहला पदक दिलाया।
- उन्होंने 12 साल की उम्र में भारोत्तोलन की शुरुआत की।
- 2014 में उन्होंने ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर जीता।
- 2020 में टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता।
- वे भारतीय भारोत्तोलन महासंघ की एथलीट्स कमीशन की अध्यक्ष हैं।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मीराबाई चानू भारतीय खेलों में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। उन्होंने ओलंपिक में भारोत्तोलन में देश को पहला पदक दिलाकर एक नई उपलब्धि हासिल की थी।
मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को इम्फाल, मणिपुर में हुआ था। उनका पूरा नाम सैखोम मीराबाई चानू है, लेकिन खेल जगत में वह सिर्फ मीराबाई चानू के नाम से जानी जाती हैं। उन्होंने साधारण परिवेश से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है और लाखों खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनी हैं।
उन्होंने 12 साल की उम्र में भारोत्तोलन का अभ्यास करना शुरू किया, जिसमें उन्हें अपने परिवार का भरपूर समर्थन मिला।
उनकी पहली बड़ी सफलता 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में मिली, जहां उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने निरंतर सफलता की ओर कदम बढ़ाया।
2018 में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स और 2022 में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीते। इसके अलावा, 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी उन्होंने गोल्ड जीता।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2020 के टोक्यो ओलंपिक में मिली, जब उन्होंने 49 किग्रा कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता। वे भारोत्तोलन में पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं।
इस उपलब्धि ने न केवल देश का मान बढ़ाया बल्कि उन्हें विश्व स्तर पर भी प्रसिद्धि दिलाई। हालांकि, पेरिस ओलंपिक में उन्हें सफलता नहीं मिली।
भारत सरकार ने उनकी उपलब्धियों के लिए 2018 में उन्हें खेल रत्न पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित किया।
वर्तमान में, मीराबाई चानू भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के एथलीट्स कमीशन की अध्यक्ष हैं। इस पद पर रहते हुए उनका लक्ष्य एथलीटों की आवाज को उठाना, उनके कल्याण को सुनिश्चित करना और उनके प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करना है।