क्या रोहतक की मीनाक्षी ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता?

सारांश
Key Takeaways
- मीनाक्षी हुड्डा की प्रेरक कहानी
- समर्थन का महत्व
- सपने साकार करने की प्रेरणा
- समाज के बंधनों को तोड़ना
- बेटियों के लिए समान अवसर
रोहतक, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। रुड़की गांव की मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया है। उन्होंने इंग्लैंड में कजाकिस्तान की नाइजिन काइजेबे को 4:1 से पराजित कर देश का नाम रोशन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी रोहतक की इस बेटी की सराहना की है।
मीनाक्षी के पिता कृष्ण, जो एक ऑटो चालक हैं, ने पहले बेटी को बॉक्सिंग खेलने से रोका था, लेकिन उनकी माँ ने चुपचाप उसे खेलने भेजा। आज, पिता को अपनी बेटी पर गर्व है।
पिता कृष्ण ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "बेटी की जीत पर हमें बहुत खुशी है। पीएम मोदी ने मेरी बेटी को बधाई दी है। इस पर मुझे बेहद गर्व है। मेरे तीन लड़कियां और एक लड़का है। उस वक्त मैं किराए का ऑटो चलाता था और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी।"
उन्होंने आगे कहा, "लोग कहते थे कि अगर तुम्हारी बेटी बॉक्सिंग करेगी, तो उसका चेहरा खराब होगा। लेकिन गांव के एक कोच ने मुझसे कहा कि मैं उसे बॉक्सिंग करने दूं। मैं अपनी बेटी के लिए जो भी कर सका, करने की कोशिश की।"
पिता ने कहा, "अब बेटी ने मुझे ऑटो दिलवाया है। जब वह घर लौटेगी, तो हम उसका जोरदार स्वागत करेंगे। लड़का-लड़की में कोई अंतर नहीं है। मैं सभी से कहता हूँ कि अपनी बेटियों को पढ़ाएं और खेलने की आजादी दें।"
मीनाक्षी की माँ सुनीता को अपनी बेटी पर गर्व है। उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी बेटी इस स्तर पर पहुंचेगी। मीनाक्षी के पिता उसे बॉक्सिंग से मना करते थे, लेकिन मैंने कभी नहीं रोका। मुझे हमेशा अपनी बेटी पर विश्वास था।"