क्या ‘आपातकाल’ लोकतंत्र को खत्म करने का प्रयास था ? : विजय सिन्हा

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल ने लोकतंत्र को गंभीर नुकसान पहुँचाया।
- कांग्रेस की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है।
- प्रधानमंत्री मोदी वर्तमान में सुधार का प्रयास कर रहे हैं।
- युवा पीढ़ी को इस इतिहास से सीखने की आवश्यकता है।
- संविधान का अपहरण करना कभी भी स्वीकार्य नहीं है।
पटना, २५ जून (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और राजस्थान के मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने आपातकाल की ५०वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इसे लोकतंत्र को समाप्त करने का प्रयास बताया।
राजस्थान सरकार में मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि २५ जून को पूरा देश काला दिवस मनाता है। कांग्रेस के नेता आज संविधान की रक्षा की बात करते हैं, जबकि उन्होंने सबसे पहले इसका उल्लंघन किया। लोकतंत्र प्रत्येक नागरिक को अपने विचार और राय व्यक्त करने का अधिकार देता है।
उन्होंने कहा कि जब लोग लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई लोगों को जेल में डाल दिया, उन्हें यातनाएं दीं और उन्हें १७ से १८ महीनों या दो सालों तक जेल में रखा। हालांकि, विजय उन लोगों में से थे जो लोकतंत्र की स्थापना करना चाहते थे। लोकतंत्र की स्थापना हुई। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की जमीन खिसक गई थी। इसलिए, उन्होंने आम लोगों की आवाज़ को दबाने का प्रयास किया।
आपातकाल की ५०वीं वर्षगांठ पर बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आपातकाल का उद्देश्य लोकतंत्र को समाप्त करना और संविधान को मात्र औपचारिकता में बदलना था। ऐसे लोगों की मानसिकता और स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया है। आज भी कांग्रेस और उसके संरक्षण में रहने वाले लोग अपराधियों, आर्थिक अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी इन गलतियों को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मानसिकता हमेशा संविधान का अपहरण करने, वंशवादी शासन और तुष्टिकरण की राजनीति स्थापित करने, संविधान का उल्लंघन करने और संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करने की रही है। आपातकाल के बारे में हमारी पीढ़ी को जानना अत्यंत आवश्यक है, ताकि हमारी युवा पीढ़ी उनके दोहरे चरित्र को समझ सके। कांग्रेस की जिस प्रकार की मानसिकता है, वह हमेशा खतरा ही उत्पन्न करेगी।