क्या अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में युवाओं ने गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि अर्पित की?
सारांश
Key Takeaways
- गुरु तेग बहादुर का बलिदान मानवता के लिए प्रेरणा है।
- पवित्र जल का आगमन श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।
- अभाविप ने युवाओं को एकजुट करने का कार्य किया।
- दिल्ली की आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है यह जल।
- अन्याय के खिलाफ खड़े होने की शिक्षाएं भारत की पहचान हैं।
नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। 'हिन्द दी चादर' गुरु तेग बहादुर की 350वीं बलिदान जयंती के अवसर पर बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, दिल्ली प्रांत द्वारा एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। अभाविप दिल्ली के कार्यकर्ताओं ने गुरु साहिब के बलिदान स्थल चांदनी चौक स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब से पवित्र जल को विशेष सम्मान-यात्रा के माध्यम से अभाविप के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन स्थल पर लाए।
यह पवित्र जल दिल्ली से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड होते हुए देहरादून पहुंचा। यात्रा के प्रत्येक पड़ाव पर स्थानीय नागरिकों, श्रद्धालुओं और अभाविप कार्यकर्ताओं ने पूर्ण भक्ति, श्रद्धा और विनम्रता के साथ इसका पूजन, स्वागत और सत्कार किया। इसके बाद यह जल-कलश परेड ग्राउंड में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा नगर के जनरल विपिन रावत मुख्य सभागार में प्रतिष्ठित किया गया। इस पावन जल का आगमन गुरु तेग बहादुर के बलिदान की स्मृति को और दिव्यता एवं प्रेरणा प्रदान करता है।
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म, सत्य, मानवीय अधिकारों और भारत की सनातन आत्मा की रक्षा के लिए अपने जीवन का सर्वोच्च त्याग किया। उनका बलिदान सम्पूर्ण मानवता के लिए साहस, कर्तव्य और न्याय का शाश्वत संदेश है। दिल्ली से आया यह पवित्र जल अधिवेशन में उन मूल्यों के राष्ट्रीय उत्थान का प्रतीक है।
अभाविप दिल्ली प्रदेश मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा कि दिल्ली के गौरव, दिल्ली की आस्था और दिल्ली की पवित्र धरोहर से निकला यह जल-कलश हमारे लिए अत्यंत सम्मान का विषय है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान न केवल दिल्ली की पहचान है, बल्कि पूरे भारत की आध्यात्मिक शक्ति और त्याग की परंपरा का प्रतीक है।
सार्थक शर्मा ने कहा कि अभाविप दिल्ली को गर्व है कि हमने इस पवित्र जल को पूरे देश के युवाओं तक पहुंचाने में सेतु की भूमिका निभाई। यह जल हमें यह स्मरण कराता है कि अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध खड़े होने की शिक्षाएं भारत की धरती ने सदैव दी हैं।