क्या अखिलेश यादव ने एसआईआर पर गंभीर सवाल उठाए हैं?
सारांश
Key Takeaways
- अखिलेश यादव ने मतदाता सूची के एसआईआर पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
- वोट काटने की साजिश का आरोप लगाया गया है।
- सरकार पर चुनावी वादे न पूरे करने का आरोप।
- महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की गई।
- आधुनिक तकनीक के उपयोग की आवश्यकता बताई गई।
सहारनपुर, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर वोट काटे जा रहे हैं। उनका दावा है कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए लगभग दो से तीन करोड़ लोगों के वोट कट सकते हैं.
एसआईआर के संदर्भ में अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि चुनाव आयोग का मुख्य कार्य अधिक से अधिक लोगों का वोट बनवाना है, लेकिन उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर वोट काटे जा रहे हैं। उन्होंने फिर से यह बात दोहराई कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगभग दो से तीन करोड़ लोगों के वोट कट सकते हैं. जनता कागज ढूंढने में परेशान है, जबकि हर किसी के पास आधार कार्ड, फिंगरप्रिंट और रेटिना की जानकारी पहले से दर्ज है। अगर आधुनिक तकनीक का सही उपयोग होता, तो न फार्म भरने की आवश्यकता होती, न कागज की तलाश करनी पड़ती, और न ही बीएलओ को घर-घर जाकर काम करना पड़ता.
अखिलेश यादव ने कहा कि वर्तमान सरकार ने अपने चुनावी वादों में से एक भी वादा पूरा नहीं किया है। वह आश्वस्त हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में जनता समाजवादी पार्टी के पक्ष में ऐतिहासिक परिणाम देगी। सहारनपुर की जनता ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन का साथ दिया था और उन्हें विश्वास है कि आगे भी जनता समाजवादी पार्टी और गठबंधन को समर्थन देगी, जिससे प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर जनता को परेशान कर रही है, जैसा कि नोटबंदी और कोविड के दौरान किया गया था। महाकुंभ में भी कई लोगों की जान गई, लेकिन सरकार ने सही आंकड़े जारी नहीं किए.
महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ये सभी चरम पर पहुंच चुके हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत को उन्होंने आर्थिक संकट का संकेत बताया और कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर विफल हैं और सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रही हैं.
किसान, नौजवान, मजदूर सहित हर वर्ग परेशान है और सरकार भावनाओं की राजनीति के सहारे सत्ता चला रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार संविधान से नहीं, बल्कि राजनीतिक उद्देश्यों से संचालित हो रही है, जबकि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने शासन को संविधान के मार्ग पर चलने का स्पष्ट रास्ता दिखाया था.