क्या बाल दिवस पर ‘विस्टाडोम सफारी’ बच्चों को प्रकृति की कक्षा में ले जाएगी?
सारांश
Key Takeaways
- बाल दिवस पर विशेष सफारी का आयोजन
- विस्टाडोम ट्रेन सफारी के माध्यम से प्रकृति का अनुभव
- छात्रों को जैव विविधता के बारे में जानकारी
- प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में जागरूकता
- युवाओं के लिए पर्यटन क्लब की स्थापना
लखनऊ, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड ने बाल दिवस के उपलक्ष्य में विद्यार्थियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रस्तुत किया है। लखनऊ के गवर्नमेंट इंटर जुबिली कॉलेज के लगभग 30 छात्र-छात्राएं दुधवा की प्रसिद्ध विस्टाडोम ट्रेन सफारी का अनुभव लेने जा रहे हैं।
बिछिया से मैलानी तक की यह यात्रा तराई के घने जंगलों, फैले हुए घास के मैदानों और वेटलैंड्स की जैव-विविधता के बीच से गुजरती है। यह सेवा सामान्यतः शनिवार-रविवार को संचालित होती है, लेकिन इस विशेष अवसर पर 15 नवंबर को बच्चों के लिए इसे आयोजित किया जा रहा है।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि राज्य भर में युवाओं को पर्यटन से जोड़ने के लिए 1,500 से अधिक युवा पर्यटन क्लब स्थापित किए जा चुके हैं, जिनसे 30,000 से अधिक विद्यार्थी जुड़े हुए हैं। कक्षा 6 से 12 तक के इन छात्रों को समय-समय पर ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड द्वारा जंगलों, पक्षी विहारों और प्राकृतिक धरोहरों का भ्रमण कराया जाता है। इसी क्रम में छात्रों को दुधवा के जंगलों की समृद्ध जैव-विविधता को विस्टाडोम से नजदीक से देखने का अवसर मिलेगा।
बाल दिवस के अवसर पर प्रयागराज में एसके कॉन्वेंट पब्लिक स्कूल के 40 छात्रों का दल श्रृंगवेरपुर के शैक्षिक दौरे पर पहुंचा। छात्रों ने ऐतिहासिक श्रृंगी मंदिर, श्री राम घाट, श्री राम शयन स्थल का भ्रमण किया और गंगा में नौकायन का अनुभव लिया। निषादराज किला एवं उद्यान की भव्यता को देखकर बच्चों ने इतिहास की गहराई और आध्यात्मिक वातावरण को महसूस किया। स्थानीय खेलों में हिस्सा लेने और ग्रामीण होमस्टे के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखने के बाद छात्रों ने इस अनुभव को “अविस्मरणीय” बताया।
इसके साथ ही, सुल्तानपुर के कादीपुर स्थित त्रिभुवन एकेडमी के 75 छात्रों ने नंदगांव पहुंचकर ग्रामीण पर्यटन के तहत निर्मित ईको-सिस्टम का अध्ययन किया। छात्रों ने स्थानीय पारंपरिक वास्तुकला, कृषि-प्रधान जीवनशैली, औषधीय पौधों और स्थानीय वनस्पतियों की विविध प्रजातियों का अवलोकन किया। बच्चों ने अपने अनुभवों को नोट्स में दर्ज किया और बताया कि इस शैक्षिक यात्रा ने ग्रामीण जीवन, प्रकृति और स्थानीय संस्कृति की वास्तविक समझ विकसित की। कहा कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की यह पहल न सिर्फ बच्चों को ज्ञान, अनुभव और संवेदना प्रदान कर रही है, बल्कि उन्हें प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में जागरूक भी बना रही है।
-- राष्ट्र प्रेस
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