क्या बांग्लादेश में आईएसआई के बढ़ते प्रभाव से भारत को खतरा है?

सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में आईएसआई का बढ़ता प्रभाव
- भारतीय एजेंसियां सतर्क
- बांग्लादेशी सेना का रुख बदलना
- आतंकवादी संगठनों का समर्थन
- संयुक्त सेना का प्रतिनिधिमंडल
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में फैली अशांति के बीच वहां की सेना और आईएसआई के बीच संबंधों में तेजी आई है। इस विकास के कारण भारतीय एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ गया था।
शेख हसीना के शासन में भारत और बांग्लादेश के संबंध मजबूत थे और पाकिस्तान के साथ दूरी बनी हुई थी, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में बदलाव आ चुका है। हाल ही में, आईएसआई के कई अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया है। इस दौरान, आईएसआई ने आतंकी मॉड्यूल को अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
आईएसआई ने भारत के खिलाफ गतिविधियों के लिए कई आतंकवादी समूहों को समर्थन देने का ऐलान किया है। बांग्लादेशी आतंकियों को प्रशिक्षण देने के लिए पाकिस्तान से व्यक्तियों को भेजा जाएगा। प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद इन आतंकवादियों का उपयोग करके भारत पर हमले की योजना बनाई जा रही है।
बांग्लादेश में अस्थिरता का असर भारत पर भी पड़ने की संभावना है। दरअसल, शेख हसीना की सरकार गिरने के समय बांग्लादेशी सेना ने शांति बहाली की मांग की थी। इस दौरान, भारत और बांग्लादेश के संबंध सुधार की दिशा में थे। लेकिन आईएसआई की गतिविधियों ने उन उम्मीदों को धूमिल कर दिया है।
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि वे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने पाकिस्तान के हस्तक्षेप पर भी स्थिति स्पष्ट की थी। हालांकि अब ऐसा लगता है कि सेना जमात समर्थित यूनुस सरकार की दिशा में बढ़ रही है।
इस सेना ने 29 सितंबर को खगरा छारी में बलात्कार और मंदिरों पर हमलों का विरोध कर रहे हिंदुओं और बौद्धों पर गोली चलाई थी।
खुफिया अधिकारियों का मानना है कि बांग्लादेशी सेना के रुख में बदलाव अपेक्षित था। हालांकि सेना प्रमुख और अन्य उच्च अधिकारी यूनुस सरकार की नीतियों के खिलाफ थे, लेकिन अब उनके कई लोग उनके ही खिलाफ हो गए हैं।
संयुक्त सेना के महानिदेशक (डीजी जेएस) लेफ्टिनेंट जनरल तबस्सुम हबीब के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना का चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेशी सेना के शीर्ष अधिकारियों से मिल रहा है। यह दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों के मजबूत होने का संकेत है।
इसके अतिरिक्त, तुर्की ने भी बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए प्रयास किए हैं। दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों का मजबूत होना भारत के लिए चिंता का विषय है। भारतीय सुरक्षा बल किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
इन नए घटनाक्रमों के बीच, ऐसी खबरें हैं कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल जमान 14 से 16 अक्टूबर तक नई दिल्ली में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदान देने वाले देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। इसके बजाय, उनके किसी कनिष्ठ सहयोगी को भेजने की संभावना है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।
-- राष्ट्र प्रेस
केके/वीसी