क्या नागालैंड यूनिवर्सिटी ने लचीला सुपरकैपेसिटर विकसित किया है?

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क्या नागालैंड यूनिवर्सिटी ने लचीला सुपरकैपेसिटर विकसित किया है?

सारांश

नागालैंड विश्वविद्यालय ने एक लचीला सुपरकैपेसिटर विकसित किया है, जो ऊर्जा संग्रहण में एक नई दिशा प्रदान करेगा। यह तकनीक भारत की बैटरी आयात पर निर्भरता को कम करेगी और स्वच्छ ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की उम्मीद जगाती है।

Key Takeaways

  • लचीला सुपरकैपेसिटर अगली पीढ़ी की तकनीक है।
  • यह इलेक्ट्रिक वाहन और पहनने योग्य उपकरणों के लिए लाभकारी है।
  • यह बैटरी आयात की निर्भरता को कम कर सकता है।
  • ऊर्जा संग्रहण में एक नई दिशा प्रदान करता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।

नई दिल्ली, ६ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नागालैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक लचीला सुपरकैपेसिटर तैयार किया है, जो भविष्य के पहनने योग्य इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों को ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम है। इस नई खोज से भारत में ऊर्जा संग्रहण की तकनीक में बड़ी बदलाव की उम्मीद है।

यह तकनीक भारत की बैटरी आयात पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मदद करेगी।

इस शोध को बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) द्वारा समर्थन प्राप्त है और इसे राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) से वित्तीय सहायता मिली है।

साइंटिफिक जर्नल आरएससी एडवांसेज में प्रकाशित एक शोधपत्र में कहा गया है कि इस डिवाइस का उपयोग स्वास्थ्य निगरानी उपकरणों, इंटरनेट से जुड़े छोटे उपकरणों और रोबोटिक्स में किया जा सकता है। इसके अलावा, इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों में भी किया जा सकता है, जिससे वाहनों की ऊर्जा बचाने और बेहतर प्रदर्शन देने की संभावना बढ़ जाएगी।

यह सुपरकैपेसिटर इलेक्ट्रिक वाहनों के ब्रेकिंग सिस्टम को भी सुधार सकता है। उदाहरण के लिए, जब इलेक्ट्रिक वाहन ब्रेक लगाता है तो इसकी ऊर्जा को सुपरकैपेसिटर संग्रहित कर बैटरी की आयु बढ़ा सकता है।

नागालैंड विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. विजेथ एच ने कहा, "इस डिवाइस में लचीलापन, ऊर्जा संग्रहण क्षमता और टिकाऊपन जैसे गुण हैं, जो भविष्य के पोर्टेबल और पहनने योग्य तकनीकी उपकरणों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। अध्ययन के दौरान तीन धातुओं टंगस्टन, वैनेडियम और कोबाल्ट को मोलिब्डेनम डिसेलेनाइड नामक पदार्थ में मिलाकर ऊर्जा संग्रहण की क्षमता पर जांच की गई। इनमें कोबाल्ट सबसे अच्छा परिणाम दिखाने वाला पाया गया।"

यह नई तकनीक नागालैंड यूनिवर्सिटी के एडवांस्ड मैटेरियल्स फॉर डिवाइस एप्लीकेशन (एएमडीए) अनुसंधान प्रयोगशाला में विकसित की गई है।

यह डिवाइस 34.54 वॉट घंटे प्रति किलो ऊर्जा संग्रहित कर सकता है और 10,000 बार चार्ज और डिस्चार्ज करने के बाद भी अपनी क्षमता को बरकरार रखता है। इसे बार-बार मोड़ने और घुमाने के बावजूद इसकी कार्यक्षमता बनी रहती है। यह गुण इसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए बेहद उपयुक्त बनाता है।

आज के समय में जब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा तेजी से बढ़ रहे हैं, तब ऊर्जा संग्रहण के लिए भरोसेमंद और सक्षम उपकरणों की मांग भी लगातार बढ़ रही है। नागालैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लचीलापन, टिकाऊपन और उच्च ऊर्जा क्षमता को जोड़कर इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

Point of View

बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर भी एक महत्वपूर्ण पहल है।
NationPress
06/10/2025

Frequently Asked Questions

सुपरकैपेसिटर का क्या उपयोग है?
यह उपकरण इलेक्ट्रिक वाहनों, पहनने योग्य इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वास्थ्य निगरानी उपकरणों में उपयोग किया जा सकता है।
यह सुपरकैपेसिटर कितनी ऊर्जा संग्रहित कर सकता है?
यह 34.54 वॉट घंटे प्रति किलो ऊर्जा संग्रहित कर सकता है।
इस तकनीक का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह तकनीक बैटरी आयात पर निर्भरता को कम करेगी और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी।