बिहार विधानसभा चुनाव: बनमनखी में जनता का दिल कौन जीतेगा? पलायन एक बड़ा मुद्दा

सारांश
Key Takeaways
- बनमनखी विधानसभा क्षेत्र में पलायन और बाढ़ मुख्य मुद्दे हैं।
- यह क्षेत्र कृषि पर निर्भर होने के कारण उपजाऊ है।
- भाजपा का इस क्षेत्र में मजबूत इतिहास है।
- नरसिंह भगवान का मंदिर सांस्कृतिक महत्व रखता है।
- बंद चीनी मिल ने रोजगार के अवसरों को प्रभावित किया है।
पटना, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित बनमनखी विधानसभा सीट, जो अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है, 2025 के विधानसभा चुनाव में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षितिज बनने के लिए तैयार है। कोसी नदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा पोषित यह उपजाऊ क्षेत्र धान, मक्का और केले की खेती के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन बाढ़ और पलायन ने इसकी प्रगति को बाधित कर रखा है।
भगवान नरसिंह के प्रसिद्ध मंदिर से लेकर बंद पड़ी चीनी मिल तक, बनमनखी की कहानी आस्था और आर्थिक समस्याओं का अद्वितीय मेल है। इस सीट पर भाजपा का प्रभाव रहा है, लेकिन बदलते राजनीतिक परिदृश्य और जनता की नाराजगी 2025 में एक नया मोड़ ला सकती है। क्या भाजपा छठी बार जीत हासिल करेगी, या किसी नए दल को यहाँ जीत मिलेगी? आइए, बनमनखी के राजनीतिक इतिहास, समीकरण और जनता के रुख को समझते हैं।
बनमनखी विधानसभा क्षेत्र, पूर्णिया लोकसभा सीट का हिस्सा है, और 1962 में इसका गठन हुआ था। यह बनमनखी और बरहरा कोठी सामुदायिक विकास खंडों की 11 ग्राम पंचायतों को समेटे हुए है। 2008 के परिसीमन के बाद इसमें बरहरा कोठी, मटिहानी, औराही, सुखसेना पश्चिम, सुखसेना पूर्व, रुस्तमपुर, दिबरा धानी, निपनिया, मुल्किया, गौरीपुर और लतराहा ग्राम पंचायतें शामिल की गईं। 80% आबादी कृषि पर निर्भर है। धान, मक्का, गेहूं और केले की खेती के साथ-साथ छोटे स्तर पर मत्स्यपालन भी स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देता है। कोसी नदी के कारण यह क्षेत्र उपजाऊ है, लेकिन हर वर्ष बाढ़ के कारण इसे विकास से पिछड़ना पड़ता है।
बनमनखी अनुमंडल स्तर का शहर है, जो पूर्णिया (30 किमी), कटिहार (56 किमी), और पटना (315 किमी) से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है, जिससे यह व्यापार और सेवाओं का स्थानीय केंद्र बन रहा है।
बनमनखी का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी कम नहीं है। भवानीपुर स्थित नरसिंह भगवान मंदिर, जहाँ माना जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया था, हर साल होली के समय लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। होलिका दहन के दौरान जलने वाला विशाल अग्निकुंड और उसकी राख पर नंगे पांव चलने की परंपरा इस क्षेत्र की आध्यात्मिक पहचान को मजबूत करती है।
इसके अलावा, 1967 में स्थापित बनमनखी चीनी मिल कभी रोजगार का बड़ा स्रोत थी, लेकिन पिछले तीन दशकों से बंद होने के कारण इस मिल ने स्थानीय युवाओं को पलायन के लिए मजबूर कर दिया है। बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण के पास इसकी जमीन होने के बावजूद औद्योगिक पुनर्जनन की उम्मीद धूमिल है।
सियासी इतिहास की बात करें तो बनमनखी में 1962 से 1985 तक कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने सात में से छः बार जीत हासिल की। 1990 से भाजपा का उदय हुआ और उसने 2020 तक आठ में से सात चुनावों में विजय प्राप्त की। भाजपा के दिग्गज नेता कृष्ण कुमार ऋषि ने 2005 से लगातार पांच बार इस सीट पर विजय हासिल की है। 2020 में उन्होंने आरजेडी के उपेंद्र शर्मा को हराया। जनता पार्टी (1977) और जनता दल (1995) ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की।
2024 के आंकड़ों के अनुसार, बनमनखी विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 532350 है, जिनमें 271186 पुरुष और 261164 महिलाएं शामिल हैं। इस सीट पर कुल 318665 मतदाता हैं, जिनमें 164279 पुरुष, 154379 महिलाएं और 7 थर्ड जेंडर हैं।