क्या बंगाल में एसआईआर में लगे चुनावी अधिकारियों को धमकाना बर्दाश्त किया जाएगा?

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क्या बंगाल में एसआईआर में लगे चुनावी अधिकारियों को धमकाना बर्दाश्त किया जाएगा?

सारांश

क्या चुनावी अधिकारियों को धमकाना बर्दाश्त किया जाएगा? जानें, ईसीआई की सख्त चेतावनी और तृणमूल कांग्रेस के विधायकों पर लगे आरोप!

Key Takeaways

  • चुनाव आयोग की सख्त चेतावनी
  • तृणमूल कांग्रेस के विधायकों पर आरोप
  • चुनाव प्रक्रिया की सुरक्षा
  • एसआईआर अभियान की स्थिति
  • बूथ-स्तरीय अधिकारियों के मानदेय की जल्द जारी करने की आवश्यकता

कोलकाता, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह पश्चिम बंगाल में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) अभियान में शामिल चुनावी अधिकारियों, जिनमें इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ), असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (एईआरओ), बूथ-लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और चुनाव ऑब्जर्वर शामिल हैं, को किसी भी प्रकार की धमकी को सहन नहीं करेगा।

कमीशन के सूत्रों के अनुसार, टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) के महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में पार्टी के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया गया, जब उन्होंने दिन में पहले दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से मुलाकात की। वहां प्रतिनिधिमंडल ने एसआईआर प्रक्रिया पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।

यह चेतावनी तब आई है जब पिछले कुछ दिनों में पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से संबंधित दावों और आपत्तियों के कारण सुनवाई सत्रों में रुकावट और जबरन रोकने की घटनाएं हो रही थीं। राज्य में रिवीजन प्रक्रिया की समीक्षा के लिए ईसीआई द्वारा नियुक्त एक विशेष रोल ऑब्जर्वर की गाड़ी के आसपास भी गड़बड़ी की घटनाएं हुई हैं।

ईसीआई के सूत्रों का कहना है कि कमीशन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो भी कानून को अपने हाथ में लेने या एसआईआर के तहत अनिवार्य कानूनी प्रक्रियाओं में बाधा डालने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

कमीशन ने तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से यह भी कहा कि पार्टी नेतृत्व को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके जमीनी स्तर के प्रतिनिधि अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे चुनाव अधिकारियों को धमकाने या डराने में शामिल न हों।

इसके अलावा, तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों, असित मजूमदार और आशिमा पात्रा, और राज्य कैबिनेट के एक सदस्य, उदय गुहा के नाम हाल के दिनों में सामने आए हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने सुनवाई सत्रों को बाधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि उन्होंने मांग की थी कि पार्टी के बूथ-स्तरीय एजेंटों को कार्यवाही के दौरान मौजूद रहने की अनुमति दी जाए।

ईसीआई के सूत्रों ने आगे कहा कि कमीशन ने तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को यह स्पष्ट कर दिया है कि निजी आवासीय परिसर के अंदर मतदान केंद्र स्थापित करने के उसके प्रस्ताव पर आपत्तियों पर विचार नहीं किया जाएगा और यह प्रक्रिया योजना के अनुसार आगे बढ़ेगी।

साथ ही, चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार से बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के लिए आयोग द्वारा अनुमोदित बढ़े हुए मानदेय को तुरंत जारी करने का निर्देश दिया है।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम लोकतंत्र की रक्षा करें। चुनावी प्रक्रिया को बाधित करना और चुनाव अधिकारियों को धमकाना हमारे लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है और सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी राजनीतिक दल इस प्रक्रिया का सम्मान करें।
NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

चुनाव आयोग की चेतावनी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
चुनाव आयोग की चेतावनी का मुख्य उद्देश्य चुनावी अधिकारियों को धमकाने और प्रक्रिया में बाधा डालने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना है।
क्या तृणमूल कांग्रेस के विधायकों पर आरोप सही हैं?
हाल के घटनाक्रमों में, तृणमूल कांग्रेस के कुछ विधायकों पर सुनवाई सत्रों में बाधा डालने का आरोप है, जिसे चुनाव आयोग गंभीरता से ले रहा है।
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