क्या भारत आत्मविश्वासी नेता के रूप में वैश्विक विज्ञान के भविष्य को आकार दे रहा है?

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क्या भारत आत्मविश्वासी नेता के रूप में वैश्विक विज्ञान के भविष्य को आकार दे रहा है?

सारांश

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और वैश्विक विज्ञान में नेतृत्व की भूमिका पर जोर दिया है। ईएसटीआईसी 2025 सम्मेलन का महत्व समझाते हुए, उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया। जानें, भारत का यह नया दृष्टिकोण किस प्रकार वैश्विक नवाचार में योगदान देगा।

Key Takeaways

  • भारत अब आत्मविश्वासी नेता के रूप में उभरा है।
  • ईएसटीआईसी 2025 सम्मेलन विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
  • प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता ने भारत की वैज्ञानिक यात्रा को प्रेरित किया है।
  • भारत वैश्विक नवाचार की दिशा तय कर रहा है।
  • यह सम्मेलन भारत की ज्ञान-समृद्ध परंपरा का प्रतीक है।

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज भारत एक आत्मविश्वासी नेता के रूप में वैश्विक मंच पर उभरा है, जो वैज्ञानिक और नवाचार के भविष्य को आकार देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

उन्‍होंने उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी 2025) की पूर्व संध्या पर अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा किए गए वीडियो संदेश में कहा कि वर्तमान में भारत अपनी क्षमताओं में आत्मविश्वासी है, दृढ़ दृष्टि रखता है, और वैश्विक परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए सक्षम है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि ईएसटीआईसी 2025 केवल एक सम्मेलन नहीं है, बल्कि यह आत्मविश्वास का प्रतीक है, जिसके अंतर्गत भारत ज्ञान, विचार और दृष्टि को वैश्विक प्रभाव में बदलने की क्षमता रखता है। उन्होंने इसे भारत की वैज्ञानिक यात्रा का एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और कहा कि यह सम्मेलन न केवल भारत की ज्ञान-समृद्ध परंपरा का परिचायक है, बल्कि इसे आधुनिक युग की तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित करने का प्रतीक भी है।

डॉ. सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता को इस परिवर्तन का मूल बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी यात्रा एक प्रेरणास्रोत के रूप में विश्व के समक्ष उभर रही है। आज भारत न केवल विज्ञान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है, बल्कि यह वैश्विक नवाचार की दिशा तय करने वाला एक अग्रणी देश बन चुका है।

केंद्रीय मंत्री ने इस सम्मेलन के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि 'ईएसटीआईसी 2025' में नोबेल पुरस्कार विजेताओं, उद्योग जगत के दिग्गजों, युवा नवप्रवर्तकों, महिला उद्यमियों और उभरते विज्ञान नेताओं का एक मंच पर आना अपेक्षित है। यह सम्मेलन विज्ञान और तकनीकी नवाचार के अगले मोर्चे को परिभाषित करने के लिए प्रतिभा, विचार और दृष्टि का एक सशक्त संगम होगा।

डॉ. सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम में प्रदर्शित नवाचार भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत करेगा और यह सिद्ध करेगा कि भारत अब विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हर क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने 'ईएसटीआईसी 2025' को राष्ट्रीय विकास का एक ऐतिहासिक क्षण बताकर कहा कि यह सम्मेलन वह चिंगारी है, जो देश की महत्वाकांक्षाओं को प्रज्वलित करती है, जहां बुद्धि उद्यम से मिलती है और जहां विकसित भारत 2047 का भविष्य आकार लेना शुरू करता है।

केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्र से इस अवसर का दूरदर्शिता, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आइए, हम दुनिया को दिखाएं कि भारत केवल विचारों में ही नहीं, बल्कि उन्हें साकार करने की शक्ति में भी जीवित है।”

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की वैज्ञानिक और नवाचार क्षमता अब केवल एक सपने की तरह नहीं है, बल्कि यह एक वास्तविकता बन चुकी है। डॉ. जितेंद्र सिंह का यह बयान हमें बताता है कि भारत अपनी पहचान बना रहा है। विश्व स्तर पर अपने विचारों और नवाचारों के साथ आगे बढ़ने का समय आ गया है।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

ईएसटीआईसी 2025 सम्मेलन का उद्देश्य क्या है?
ईएसटीआईसी 2025 सम्मेलन का उद्देश्य विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में भारत की भूमिका को उजागर करना और वैश्विक स्तर पर विचारों और तकनीकी नवाचार का आदान-प्रदान करना है।
भारत की वैश्विक विज्ञान में भूमिका क्या है?
भारत अब एक आत्मविश्वासी नेता के रूप में उभर रहा है, जो वैश्विक विज्ञान और नवाचार के भविष्य को आकार देने की दिशा में कार्य कर रहा है।