क्या भारत एक सेक्युलर देश था और हमेशा रहेगा? : तारिक अनवर

सारांश
Key Takeaways
- भारत का संविधान सभी को समान अधिकार देता है।
- सेक्युलरिज्म का अर्थ है धर्म और राज्य का पृथक होना।
- सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है।
- राजनीतिक बयानबाजी में सांप्रदायिकता का खतरा रहता है।
- आपसी सद्भाव बनाए रखना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। आपातकाल के 50 साल पूरे होने के अवसर पर गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने की मांग की। होसबाले के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें सांप्रदायिकता की भावना स्पष्ट है।
तारिक अनवर ने कहा कि भारत एक सेक्युलर देश था और हमेशा रहेगा। भारत का संविधान सभी को समानता का अधिकार देता है। हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है और अपनी इच्छानुसार धर्म और आस्था को मानने का अधिकार भी है।
उन्होंने कहा कि इतिहास में हम सेक्युलर रहे हैं और आज भी हैं। जहां तक सोशलिस्ट की बात है, तो देश में आर्थिक असमानता को दूर करने का संकल्प हमने हमेशा लिया है। आज़ादी के बाद हमारा संकल्प था कि हम अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटेंगे। सोशलिस्ट इसी को दर्शाता है।
इटावा में हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि किसी के साथ अन्याय होगा तो वह अपनी रोष प्रकट करेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे देश में हर किसी को अपने धर्म और आस्था का पालन करने और प्रचार करने का अधिकार है। किसी को ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीए वाले बयान पर कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा कि मैंने उनका बयान नहीं सुना है, इसलिए मुझे पूरी जानकारी नहीं है। लेकिन मुद्दा यह है कि हमारा प्रयास हमेशा यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि हर समुदाय को समान सम्मान और समानता मिले। इस देश के सभी जिम्मेदार लोग समाज में आपसी सद्भाव बनाए रखने का प्रयास करते हैं।