क्या भाषाओं की विविधता में भारत की ताकत छिपी है? : मनोज सिन्हा

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क्या भाषाओं की विविधता में भारत की ताकत छिपी है? : मनोज सिन्हा

सारांश

भारत की भाषाई विविधता में न केवल सांस्कृतिक समृद्धि है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वादीज हिंदी शिक्षा समिति के कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए इस पहलू पर जोर दिया। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।

Key Takeaways

  • भारत की भाषाई विविधता सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।
  • हिंदी ने देश को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए।
  • भाषाई सद्भाव बनाना जरूरी है।
  • युवाओं को भाषाओं के प्रति जागरूक होना चाहिए।

श्रीनगर, 23 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को वादीज हिंदी शिक्षा समिति के कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने युवाओं को संबोधित किया और वादीज हिंदी शिक्षा समिति की अध्यक्ष नसरीन अली निधि के प्रयासों की सराहना की।

उपराज्यपाल ने कहा कि पिछले वर्ष हिंदी भाषा को देश की राजभाषा के रूप में अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ थी और पिछले 75 वर्षों में हिंदी ने देश को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी को देश की भावनाओं के आदान-प्रदान की भाषा माना गया था और नीति-निर्माताओं ने हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच सामंजस्य की आवश्यकता पर बल दिया था।

उन्होंने कहा कि भाषाओं की अनेकता और विविधता हमारी सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। हिंदी के साथ-साथ हमें अपनी सभी भाषाओं पर गर्व होना चाहिए। मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं को सीखना और उनकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रसार करना आवश्यक है।

उपराज्यपाल ने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है, जहां आधिकारिक रूप से 453 भाषाएं बोली जाती हैं। इन भाषाओं के बीच हिंदी 140 करोड़ भारतवासियों को जोड़ती है। मातृभाषा को प्रोत्साहन देना भी आवश्यक है। मेरा मानना है कि हिंदी के साथ-साथ सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। आज भाषा सीखना ही नहीं, बल्कि भाषाई सद्भाव बनाना भी आवश्यक है।

उन्होंने 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हुई चर्चा का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भारत में राजभाषा के चयन पर बहस हो रही थी, तब हिंदी को सबसे अधिक समर्थन उन क्षेत्रों से मिला, जहां हिंदी नहीं बोली जाती। सुब्रमण्यम भारती ने सबसे पहले आवाज उठाई थी कि हिंदी देश की राजभाषा होनी चाहिए।

कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव बृजमोहन शर्मा, जेके बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ अमिताव चटर्जी, परमवीर चक्र विजेता मानद कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव, केंद्रीय विद्यालय संगठन, जम्मू संभाग के उपायुक्त नागेंद्र गोयल, और वादीज हिंदी शिक्षा समिति की अध्यक्ष नसरीन अली निधि तथा छात्र-छात्राएं शामिल थे।

वादीज हिंदी शिक्षा समिति ने इस वर्ष जून-जुलाई में चार केंद्रीय विद्यालयों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कक्षा 6 और 10 के छात्रों में हिंदी भाषा के प्रति रुचि उत्पन्न करने का अभियान चलाया था।

Point of View

बल्कि यह राष्ट्रीय एकता को भी दर्शाती है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए, ताकि हम एकजुट होकर अपने देश की प्रगति में योगदान दे सकें।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत में कितनी भाषाएं बोली जाती हैं?
भारत में आधिकारिक रूप से 453 भाषाएं बोली जाती हैं।
हिंदी कब देश की राजभाषा बनी?
हिंदी को 14 सितंबर 1949 को देश की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया।
युवाओं के लिए क्या संदेश दिया गया?
उपराज्यपाल ने युवाओं को भाषाई सद्भाव और सभी भाषाओं का सम्मान करने का संदेश दिया।
वादीज हिंदी शिक्षा समिति क्या करती है?
वादीज हिंदी शिक्षा समिति हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित करती है।
हिंदी भाषा का स्वतंत्रता संग्राम में क्या महत्व था?
हिंदी को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूरे देश की भावनाओं के आदान-प्रदान की भाषा माना जाता था।