क्या एनडीए शासन में बिहार का बुरा हाल है? बिहार की जनता नई सरकार की चाहत रखती है: पशुपति कुमार पारस

सारांश
Key Takeaways
- एनडीए के शासन में बिहार की स्थिति गंभीर है।
- पशुपति कुमार पारस का कहना है कि लोग तेजस्वी यादव के नेतृत्व में नई सरकार चाहते हैं।
- राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं।
- सर्वेक्षणों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
- महागठबंधन की बैठक में सभी दलों की राय ली जाएगी।
पटना, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही सियासत में उबाल आ गया है। विभिन्न राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने इस मौके पर सीएम नीतीश कुमार पर कड़ा हमला बोला।
उन्होंने कहा कि एनडीए के शासन में राज्य में बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और शिक्षा की स्थिति गंभीर हो गई है। जनता अब नई सरकार की चाहत रखती है। इस बार नई सरकार तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बनेगी।
पशुपति कुमार पारस ने सीएम नीतीश कुमार द्वारा राजगीर क्रिकेट स्टेडियम और पटना मेट्रो के उद्घाटन को चुनावी दिखावा करार दिया। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, '20 साल से एनडीए की सरकार है, इस दौरान आपने बिहार के लिए क्या किया?' एनडीए के शासन में बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और शिक्षा का बुरा हाल हो गया। इस दौरान कोई औद्योगिक विकास नहीं हुआ। यह बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। लोग इस बार सत्ता परिवर्तन के लिए तैयार हैं। नई सरकार तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बनेगी।
जब राजद नेता तेजस्वी यादव के महागठबंधन के सीएम चेहरे पर सवाल पूछा गया, तो पारस ने कहा, 'चुनाव होंगे, महागठबंधन की सरकार बनेगी, और यह तेजस्वी यादव के नेतृत्व में होगी।'
पशुपति कुमार पारस ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के विदेश दौरे पर कहा कि राहुल ने बिहार में 17 दिनों तक मेहनत की थी। उनका विदेश जाना उनका निजी मामला है।
पशुपति कुमार पारस ने कहा कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की सीटों पर दावेदारी पेश करने के सवाल पर बताया कि नामांकन से पहले महागठबंधन के सहयोगी दलों की बैठक में सभी अपनी राय व्यक्त करेंगे। उनका उद्देश्य है कि जो जीते, वही उम्मीदवार तय हो।
राष्ट्र प्रेस-मैटराइज सर्वे में एनडीए को प्रचंड बहुमत दिखाया गया है। इस पर पारस ने कहा कि वे सर्वेक्षणों पर विश्वास नहीं करते। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान कभी भी कोई सर्वेक्षण सही नहीं होता। अभी यह तय नहीं हुआ है कि किस गठबंधन को कौन सी सीट मिलेगी।