क्या अमेरिका के आर्थिक दबाव को ठुकराकर भारत ने विकासशील देशों को एक मजबूत संदेश दिया?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने अमेरिकी आर्थिक दबाव को ठुकराया।
- कृषि क्षेत्र की सुरक्षा प्राथमिकता है।
- भारत ने बहुध्रुवीय व्यापार साझेदारी को बढ़ावा दिया।
- डब्ल्यूटीओ में कानूनी चुनौती दी गई।
- प्रधानमंत्री मोदी की एससीओ सम्मेलन में भागीदारी महत्वपूर्ण है।
वाशिंगटन, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने अमेरिका द्वारा अपने प्रमुख निर्यात उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के माध्यम से किए गए आर्थिक दबाव को खारिज करके अन्य विकासशील देशों को वैश्वीकरण और व्यापार के हथियारीकरण की चुनौतियों से निपटने का एक प्रभावशाली संदेश दिया है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में शनिवार को प्रस्तुत की गई।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत का यह ठोस रुख अल्पकालिक लाभ के बजाय आर्थिक संप्रभुता को प्राथमिकता देने और राष्ट्रीय विकास के लिए सामाजिक स्थिरता, खाद्य सुरक्षा, रोजगार और ग्रामीण कल्याण को बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।
रिपोर्ट में कहा गया कि कृषि क्षेत्र, जो करोड़ों ग्रामीणों की आजीविका का सहारा है, उसे सुरक्षित रखना भारत की प्राथमिकता है। मछली, डेयरी उत्पाद और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों जैसे कृषि आयातों पर शुल्क में कमी से ग्रामीण आय पर गहरा असर पड़ेगा, बाजार पर एकाधिकार बढ़ेगा और सामाजिक ताना-बाना बिगड़ेगा।
कृषि के अलावा, यह टैरिफ वस्त्र, परिधान, रत्न-आभूषण और ऑटो पार्ट्स जैसे उद्योगों को भी प्रभावित करेगा, जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। इसके बावजूद, भारत ने एक ही बाजार पर निर्भरता को कम करने और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में व्यापार साझेदारी को विविधतापूर्ण बनाने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत भारत ने यूके, यूरोपीय संघ, आसियान, ब्रिक्स और एससीओ जैसे समूहों से संबंध मजबूत किए हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी एससीओ शिखर सम्मेलन में भागीदारी भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।
भारत न केवल सार्वजनिक बयानों के माध्यम से, बल्कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कानूनी चुनौती देकर भी अमेरिकी टैरिफ का मुकाबला कर रहा है। भारत का मानना है कि यह अमेरिका के गैरकानूनी और एकतरफा दंडात्मक कदम हैं। इस कानूनी पहल से भारत उन देशों के साथ खड़ा हो रहा है जो निष्पक्ष वैश्विक व्यापार के पक्षधर हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "कानूनी रास्तों, कूटनीतिक प्रयासों और घरेलू सुरक्षा उपायों के संतुलित मिश्रण से भारत एक कम वॉशिंगटन-केंद्रित और अधिक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यापार वातावरण तैयार कर रहा है।"