क्या बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वोटों को ध्यान में रखकर बढ़ाया जा रहा है भाषा विवाद? : जितेंद्र आव्हाड

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क्या बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वोटों को ध्यान में रखकर बढ़ाया जा रहा है भाषा विवाद? : जितेंद्र आव्हाड

सारांश

महाराष्ट्र में बढ़ते मराठी-हिंदी भाषा विवाद और निर्दोष लोगों पर हमले के वायरल वीडियो ने राजनीतिक हलचल को बढ़ा दिया है। जितेंद्र आव्हाड ने आरोप लगाया है कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वोटों को ध्यान में रखकर यह सब किया जा रहा है। जानें इस विवाद के पृष्ठभूमि और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं के बारे में।

Key Takeaways

  • भाषा विवाद का राजनीतिक उपयोग हो रहा है।
  • जितेंद्र आव्हाड ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वोटों पर चिंता जताई।
  • राजनीतिक पार्टियों को एकजुट होकर इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए।

मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में मराठी-हिंदी भाषा विवाद को लेकर निर्दोष लोगों की पिटाई का एक वीडियो वायरल होने से राजनीतिक माहौल में उथल-पुथल मच गई है। ठाकरे बंधुओं (राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे) की संयुक्त रैली के बाद बयानबाजी और भी तेज हो गई है। एनसीपी (एसपी) विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सोमवार को आरोप लगाया कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वोटों को ध्यान में रखकर ऐसे हालात बनाए जा रहे हैं।

भाषा विवाद पर मारपीट वाले वीडियो को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के हालिया पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए जितेंद्र आव्हाड ने कहा, "कोई हिंदीभाषियों को टारगेट नहीं कर रहा है। यदि कुछ लोग ऐसी हरकत कर रहे हैं, तो इसे पूरे मराठी समाज से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। यह जानबूझकर किया जा रहा है। ऐसा करने वालों की मंशा ही यह है कि मुंबई में मराठी और गैर-मराठियों के बीच झगड़ा हो। यह सब बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वोटों के लिए किया जा रहा है।"

धीरेंद्र शास्त्री के भगवा-ए-हिंद वाले बयान पर उन्होंने कहा, "वे ऐसे शब्द पता नहीं कहां से लाते हैं। हिंदुस्तान में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति, जो इस भूमि पर निवास करता है, वह समृद्ध हिंदुस्तान का सपना देखता है।"

कांग्रेस विधायक ज्योति गायकवाड़ ने निशिकांत दुबे के हालिया सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा, "हमने हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया। निशिकांत दुबे का बयान निंदनीय है। केंद्रीय गृह मंत्री को इस प्रकार के वक्तव्य देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। भाजपा ने पहले धर्म और धर्म के बीच झगड़ा पैदा किया था, और अब भाषा-भाषा में विवाद खड़ा कर रही है। हम बच्चों पर सख्ती के खिलाफ हैं। हम हिंदी और उर्दू का सम्मान करते हैं।"

गौरतलब है कि इससे पहले निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था, "हिंदी भाषी लोगों को मुंबई में मारने वाले, यदि हिम्मत है तो महाराष्ट्र में उर्दू भाषियों को मार कर दिखाओ। अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है? कौन कुत्ता, कौन शेर खुद ही फैसला कर लो।"

Point of View

यह विवाद न केवल भाषाई पहचान का मामला है, बल्कि यह राजनीतिक स्वार्थ का भी प्रतीक है। महाराष्ट्र की जटिल सामाजिक संरचना में, इस तरह के विवादों का बढ़ना समाज में विभाजन को बढ़ावा दे सकता है, जो एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। राजनीतिक पार्टियों को इसे एक अवसर के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि एक जिम्मेदारी के रूप में लेना चाहिए।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

भाषा विवाद का मुख्य कारण क्या है?
भाषा विवाद का मुख्य कारण राजनीतिक स्वार्थ और क्षेत्रीय पहचान है।
जितेंद्र आव्हाड ने क्या कहा?
जितेंद्र आव्हाड ने आरोप लगाया है कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वोटों के लिए यह विवाद बढ़ाया जा रहा है।
इस विवाद का क्या राजनीतिक प्रभाव हो सकता है?
यह विवाद राजनीतिक वातावरण को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है, जिससे सामाजिक विभाजन की संभावना बढ़ जाती है।