क्या भोजन ग्रहण करने के नियम बदलने से जीवन में सुधार होगा?
सारांश
Key Takeaways
- सही समय पर भोजन करें।
- दोपहर के भोजन में छाछ शामिल करें।
- रात का भोजन हल्का रखें।
- दूध सोने से पहले पियें।
- आयुर्वेद के अनुसार भोजन करें।
नई दिल्ली, ६ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान समय की जीवनशैली में अधिकांश लोग सही समय पर भोजन ग्रहण नहीं कर पाते हैं।
लोग अपने काम के कारण व्यस्त रहकर खाना खाते हैं, न कि खाने के सही समय को ध्यान में रखकर। यही वजह है कि आजकल कई लोग छोटी उम्र में ही शारीरिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, समय पर खाया गया भोजन शरीर में अमृत के समान कार्य करता है, जबकि असमय का भोजन विष का रूप ले लेता है।
आयुर्वेद में यह बताया गया है कि भोजन का सही समय और प्रकार क्या होना चाहिए। सुबह का नाश्ता सुबह ७ बजे से ९ बजे के बीच करना चाहिए, क्योंकि इस समय सूर्य धीरे-धीरे दिन की ओर बढ़ रहा होता है। जैसे-जैसे सूरज उगता है, पेट की जठराग्नि भी तेज होती है। इस समय पौष्टिक नाश्ता जैसे चीला, दलिया, भूने मखाने और पोहे का सेवन करें।
दोपहर का भोजन दोपहर १२ बजे से २ बजे के बीच करना चाहिए। इसमें वसा, प्रोटीन और भरपूर कार्बोहाइड्रेट शामिल करना चाहिए। दोपहर के भोजन में छाछ अवश्य होना चाहिए। सर्दियों में छाछ का सेवन पेट की समस्याएं जैसे गैस, खाना कम पचना और पेट फूलने से राहत दिलाता है। इस समय पित्त की प्रवृत्ति अधिक होती है, जिससे भारी भोजन आसानी से पच जाता है।
रात का भोजन सूरज ढलने से पहले का होना चाहिए। रात का भोजन शाम को ६.३० से ७.३० बजे के बीच करना चाहिए। इस समय पेट की अग्नि काफी कमज़ोर हो जाती है, इसलिए हल्का भोजन जैसे मूंग की दाल, सूप, दलिया या उबली सब्जियां खाना चाहिए। भोजन के दो घंटे बाद और सोने से एक घंटा पहले गुनगुना दूध पीना भी फायदेमंद होता है।
अगर आप अपने भोजन करने के नियम में सुधार करते हैं, तो आपका पूरा शरीर विषैले पदार्थों से मुक्त हो जाता है, पेट और लिवर से जुड़ी बीमारियों से छुटकारा मिलता है, मन प्रसन्न रहता है, और नींद भी अच्छी आती है।