क्या बिहार में एनडीए सरकार फिर से बनेगी? एक्सिस माई इंडिया के आंकड़ों के अनुसार 141 सीटों की संभावना दिख रही है।
सारांश
Key Takeaways
- एनडीए को 121-141 सीटें मिलने की संभावना है।
- महागठबंधन को 90-118 सीटें मिल सकती हैं।
- कांग्रेस को 17-21 सीटें मिल सकती हैं।
- बिहार में रोजगार और पलायन जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।
- बिहार में पिछले 15-20 वर्षों में काफी विकास हुआ है।
पटना, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार चुनाव के लिए मतदान अब समाप्त हो चुका है और सभी की नजरें १४ नवंबर को होने वाली मतगणना पर हैं। एग्जिट पोल के अनुसार, बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने के आसार हैं। एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में एनडीए की वापसी होती दिखाई दे रही है।
एक्सिस माई इंडिया के सीएमडी प्रदीप गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि एग्जिट पोल के अनुसार, बिहार में एनडीए को ४३ प्रतिशत वोट मिल सकते हैं, जिससे १२१-१४१ सीटें हासिल करने की संभावना है। वहीं, महागठबंधन को ९०-११८ सीटें मिलने का अनुमान है। कांग्रेस के लिए स्थिति थोड़ी खराब है, जिसमें उसे १७-२१ सीटें मिल सकती हैं। बिहार चुनाव में राहुल गांधी के अभियान का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा।
प्रदीप गुप्ता ने कहा कि तेज प्रताप यादव की पार्टी से मुकाबला है और वे जीत भी सकते हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को हमारे पोल में ४ प्रतिशत वोट मिलते दिखाई दे रहे हैं, जिससे उसे ०-२ सीटें मिल सकती हैं।
उन्होंने कहा कि महागठबंधन ने अपने वोटों को बांट दिया है, जिसका लाभ एनडीए को मिलना तय है। राहुल गांधी और महागठबंधन के वोट चोरी के आरोप पर उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले हमने हर विधानसभा क्षेत्र में जाकर लोगों से राय ली, लेकिन किसी ने भी वोट चोरी का मुद्दा नहीं उठाया।
चुनावी मुद्दों पर प्रदीप गुप्ता ने कहा कि सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे ही मतदाता को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले १५ से २० सालों में बिहार ने काफी तरक्की की है।
एक्सिस माई इंडिया के सीएमडी ने कहा कि एनडीए को ४३ प्रतिशत और महागठबंधन को ४१ प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। कांग्रेस ने ६१ सीटों पर चुनाव लड़ा है, जिसमें कुछ फ्रेंडली फाइट भी शामिल हैं।
प्रदीप गुप्ता ने बताया कि 'फ्रेंडली फाइट' में ऐसे उम्मीदवार होते हैं जो अपने ही वोटों को बांट देते हैं। इससे अन्य दलों को लाभ मिलता है।
बिहार चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा वर्तमान सरकार का प्रदर्शन रहा है। पिछले चुनाव में किए गए वादों का क्या हुआ, यही एंटी इंकम्बेंसी और प्रो-इंकम्बेंसी से जुड़ा है। बिहार में रोजगार और पलायन एक बड़ी समस्या है।