बिहार में कानून का राज है क्या, अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा? : दिलीप जायसवाल

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में कानून का शासन मजबूत हो रहा है।
- अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।
- पुलिस की त्वरित कार्रवाई से गिरफ्तारी हो रही है।
- राज्य की कानून व्यवस्था में सुधार हो रहा है।
- राजनीतिक बयानबाजी से बचना चाहिए।
पटना, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। चंदन मिश्रा हत्याकांड में मंगलवार सुबह पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान तीन अपराधियों को गिरफ्तार किया। इस पर भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि बिहार में कानून का शासन है। पुलिस और कानून अपना कार्य कर रहे हैं। जो भी अपराध करेगा, उसे किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की सख्त नीति के तहत अपराधियों की गिरफ्तारी 12 से 24 घंटे के भीतर हो रही है और उन्हें न्यायालय में पेश कर सजा दिलाई जा रही है। बिहार में कोई भी अपराधी कानून से ऊपर नहीं है। राज्य की कानून व्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है।
जानकारी के अनुसार, बिहार के भोजपुर जिले के बिहिया थाना क्षेत्र में मंगलवार सुबह करीब 5 बजे पुलिस और एसटीएफ का सामना अपराधियों से हुआ। पुलिस ने उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा। लेकिन अपराधियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की फायरिंग में दो अपराधी, बलवंत कुमार सिंह और रविरंजन कुमार सिंह, घायल हो गए। दोनों को पुलिस हिरासत में इलाज के लिए भेजा गया है। इसके अलावा एक अन्य अपराधी, अभिषेक कुमार, को गिरफ्तार किया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बयान पर कि "वोटर लिस्ट से करोड़ों लोगों के नाम कट सकते हैं" दिलीप जायसवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उन्हें 26 तारीख के बाद इस पर बोलना चाहिए, जब पुनरीक्षण की अंतिम तिथि समाप्त हो जाए। इससे पहले इस तरह के बयान देना केवल भ्रम फैलाने जैसा है।
उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल उठाने पर जायसवाल ने कहा कि उन्होंने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है। अभी विस्तृत जानकारी आनी बाकी है; जब पूरी जानकारी मिलेगी, तब इस पर कोई टिप्पणी करूंगा।
गौरतलब है कि भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब उनके कार्यकाल के अभी दो साल बाकी हैं। अगस्त 2022 में पदभार ग्रहण करने वाले धनखड़ ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 67(ए) का उल्लेख किया है।