क्या बिहार में एसआईआर के नाम पर एनआरसी जैसी प्रक्रिया चलाई जा रही है?: सांसद नामदेव किरसन

सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
- बिहार में एनआरसी जैसी स्थिति बन रही है।
- फर्जी नाम जोड़ने की शिकायतें बढ़ रही हैं।
गढ़चिरौली, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में एसआईआर का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। नेताओं द्वारा चुनाव आयोग पर आरोप लगाने का सिलसिला लगातार जारी है। इस बीच, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली-चिमूर से कांग्रेस सांसद नामदेव किरसन ने भी चुनाव आयोग पर निशाना साधा।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा, "लोकतंत्र की हत्या किसे कहते हैं, यह सब देश ने देख लिया है। राहुल गांधी द्वारा उजागर की गई सच्चाई वोटर लिस्ट में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। वही वोटर लिस्ट चुनाव आयोग द्वारा दी गई थी। फिर भी उसमें फर्जी नाम जोड़े गए और असली मतदाताओं के नाम हटाए गए। यह सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र, हरियाणा और कई अन्य राज्यों में ऐसा हो रहा है।"
उन्होंने चुनाव आयोग के काम पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में एसआईआर जिस तरह से लागू किया गया, वह उचित नहीं है। बिहार के लोगों के पास आधार कार्ड और राशन कार्ड होने पर भी उन्हें स्वीकार नहीं किया गया। चुनाव आयोग को अपने हिसाब से सबूत चाहिए। यहां पर क्या वोटर लिस्ट जारी की जा रही है या फिर एनआरसी लागू हो रहा है?
उन्होंने आरोप लगाया, "बिहार में अभी एसआईआर के नाम पर एनआरसी जैसी प्रक्रिया चलाई जा रही है। जिन लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड या सरकारी पहचान है, उनके नाम भी वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं। उनसे बाप-दादा के सबूत मांगे जा रहे हैं। यह मतदाता सूची का पुनः निरीक्षण नहीं, बल्कि एनआरसी थोपने की साजिश है।"
सांसद ने कहा कि गढ़चिरौली-चिमूर में हमने आधिकारिक जांच नहीं करवायी है, लेकिन नागपुर के कामठी और चंद्रपुर में हमारे कार्यकर्ताओं ने जांच की। वहां एक ही पते पर 150 से ज़्यादा नाम दर्ज मिले। असली मतदाताओं के नाम काटकर फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं। यह वोट चोरी नहीं तो और क्या है? लेकिन चुनाव आयोग इस पर कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।