क्या बिहार सांस्कृतिक समृद्धि और राजनीतिक चेतना का केंद्र है, या जातिवाद की राजनीति का अखाड़ा?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार का सांस्कृतिक इतिहास अद्वितीय है।
- जातिवाद ने राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित किया है।
- बिहार के कई महान नेता रहे हैं।
- शिक्षा में बिहार का योगदान महत्वपूर्ण है।
- राजनीतिक समीकरण यहां की राजनीति का मूल हैं।
पटना, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजा जनक, जरासंध, कर्ण, सीता, कौटिल्य, चन्द्रगुप्त, मनु, याज्ञबल्कय, मण्डन मिश्र, भारती, मैत्रेयी, कात्यानी, अशोक, बिन्दुसार, बिम्बिसार और बाबू कुंवर सिंह जैसे महान व्यक्तित्वों का जन्म स्थल, बिहार हमेशा से सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक रहा है। लेकिन आज यह राज्य जातिवाद की राजनीतिक लहरों में फंसा हुआ है।
आजादी से लेकर कई वर्षों तक, बिहार ने देश के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह वही स्थान है जिसने संविधान सभा का अध्यक्ष प्रदान किया और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया। फिर भी, यह समझना आवश्यक है कि क्यों एक ऐसी जागरूकता वाला राज्य 'बीमारू राज्य' कहलाया गया।
बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि को समझने के लिए, इसे विभिन्न क्षेत्रों में बांटकर देखना आवश्यक है। मगध, मिथिला, वैशाली, अंग, भोजपुर और सीमांचल जैसे क्षेत्रों को देखकर इसकी गहराई का पता चलता है। प्राचीन वैदिक साहित्य के अनुसार, बिहार प्राचीन काल में मगध, अंग और विदेह में विभाजित था।
जर्दालू आम, शाही लीची, भागलपुर का सिल्क, मधुबनी पेंटिंग जैसी कई कलाएं और शिल्प बिहार की पहचान हैं। बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे ज्ञान के केंद्रों ने इसे शिक्षा का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बना दिया।
यह वही धरती है जहां से मगध साम्राज्य का उदय हुआ। वैशाली जिसे दुनिया का पहला गणराज्य माना जाता है, बौद्ध और जैन धर्म का महत्वपूर्ण स्थल है।
राजनीतिक रूप से, बिहार ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। यहां कांग्रेस, जनता पार्टी, लालू प्रसाद और हाल ही में नीतीश कुमार ने शासन किया है। लेकिन आज बिहार की राजनीति में जातिवाद ने गहरी जड़ें जमा ली हैं, जिससे राज्य की राजनीतिक स्थिरता प्रभावित हुई है।
बिहार में जातिवाद का बढ़ता प्रभाव पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है। लालू यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने अपने जातीय समीकरणों के माध्यम से सत्ता में स्थान बनाया है। यह जातीय राजनीति ने बिहार की राजनीतिक दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया है।